लाखों की दवाओं के जलाने का वाकया नेपाल सीमा के बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है। मंगलवार देर रात करीब 11 बजे स्टोर से निकालकर दवाओं को जलाये गया. जलाए गए दवाओं में अधिकांश कीमती और उपयोगी दवाएं थी. जिम्मेदार अगर यह कहें कि एक्सपायरी होने के नाते दवाएं जलाई गई तो सवाल उठता है कि क्या इस स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज नही आते और यदि नहीं आते तो जरूरत से ज्यादा दवाएं मंगाई क्यों गई?
हालांकि ओपीडी रजिस्टर के मुताबिक नेपाल सीमा के इस महत्वपूर्ण सरकारी अस्पताल पर प्रति दिन सौ से अधिक मरीजों का आना होता है, बहरहाल इस स्वास्थ केंद्र पर दवाओं के जलाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
रात को बढ़नी-पचेपड़वा मार्ग से गुजर रहे लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़नी के परिसर से आग की लपटें उठती दिखाई दीं. कुछ लोगों ने वहां जाकर देखा तो अस्पताल परिसर में स्थित प्रसव केंद्र के पीछे गत्ते जल रहे थे। लोगों ने गत्तों को उलट-पलट कर देखा तो मरीजों के वितरण के लिए आई भारी तादात में लाखों की सरकारी दवाएं जल रही थी, जिसे कूड़े के ढेर में डालकर आग के हवाले कर दिया गया था। इससे पूर्व 11 सितंबर की रात को भी करीब 25-30 की संख्या में बड़े-बड़े दवाई से भरे गत्ते जलाए गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इन दवाओं पर एक्सपायरी डेट 2018 लिखी हुई थी. वहां मौजूद कुछ जागरुक लोगों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
बहरहाल भारी मात्रा में दवाई जलाने के पीछे कमीशन पर मेडिकल स्टोरों से दवाएं लिखने का मामला सामने आ रहा है। इस संबंध में पीएचसी बढ़नी के एमओआईसी डॉ. शेषबान गौतम ने सारे मामले को सिरे से झुठलाते हुए कहा कि खाली गत्ते जलाए गए थे, उसमें दवाएं नही थी, जबकि वायरल हो रहे वीडियो में सच साफ दिख रहा है।
BY- YASHODA SRIVASTAVA