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महाराजगंज

यहां तो बड़ा कनफ्युजन है भाई, जिला सिद्धार्थ नगर तो रेलवे स्टेशन नौगढ़

डाकघर तेतरी बाजार तो सदर तहसील नौगढ़।

महाराजगंजNov 18, 2018 / 03:18 pm

रफतउद्दीन फरीद

Naugarh

रेलवे स्टेशन नौगढ़

यशोदा श्रीवास्तव

महराजगंज. जिलों का नाम बदलना , नए जिला या तहसील का सृजन करना लोगों ने मायावती से जाना था। मायावती को इसका विरोध भी झेलना पड़ा था। एक बार विरोध का आलम यह था कि महराजगंज जिले का नामकरण करने एक समारोह में महराजगंज आईं तबकी मुख्यमंत्री मायावती को बिना नए नाम की घोषणा किए बैकफुट होना पड़ा था। यह विरोध कोई और नही उन्हीं के पार्टी के कद्दावर नेता रहे स्व हर्ष वर्धन ने किया था। हर्ष वर्धन का कहना था कि महराजगंज अपने आप में ऐतिहसिक नाम है जो गौतम बुद्ध की मां महामाया के नाम से है। मायावती यदि महराजगंज का नाम बदलना ही चाह रही है तो वे शिब्बन लाल सक्सेना के नाम से करें। स्व सक्सेना संविधान सभा के सदस्य थे और महराजगंज के सांसद थे।
मायावती साहूजी महराज नगर करना चाहती थीं महराजगंज का नाम

साहू जीमहराज कुरमी वंश के राजा थे। महराजगंज जिला कुरमी बाहुल्य है। इस लिहाज से कुरमी वोटो में अपनी पकड़ मजबूत करने लिए उनका यह फैसला राजनितिक था। जो स्व हर्ष वर्धन के भारी विरोध के चलते अमली जामा नही पहन सका। बता दें कि तब भाजपा भी मायावती के जिला सृजन अथवा नाम बदलने के खिलाफ थी। आज सत्ता में आने के बाद योगी सरकार दनादन जिला, कमिश्नरी, तहसील तथा शहरों का नाम बदल रही है। योगी सरकार के इस नाम बदलो अभियान के पीछे हिंदू मत दाताओं को अपनी ओर आकृष्ट करना है। मुगलसराय से लेकर फैजाबाद तक के नया नामकरण से यह संदेश साफ है।
योगी सरकार के नाम बदलो अभियान से नौगढ़ (सिद्धार्थ नगर) वासियों को भी कई नाम वाले अपने जिले का नाम बदलने की मांग तो बनती है। लेकिन जिले के अधिवक्ता देवेंद्र त्रिपाठी योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहते हैं कि यह क्यों बदलें ? इसका नाम किसी मुस्लिम से तो है नहीं।
जानें नोगढ़ का इतिहास

नौगढ़ आज से करीब तीन दशक पहले बस्ती जिले का हिस्सा था। जो एक तहसील मुख्यालय था। इसी तहसील अंतरगत उत्तर तरफ नेपाल सीमा पर पिपरहवा नामक स्थान को गौतम बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु के रूप में 1975 में लंबी खुदाई के बाद प्रमाणित होना पाया गया।उनके पुत्र राजकुमार सिद्धार्थ के यहां जीवन के 29 साल व्यतीत करने के भी सबूत मिले। इसके बाद से ही सिद्धार्थ नगर के नाम से बस्ती जिले के उत्तर के हिस्सों को अलगकर नया जिला बनाने की मांग उठी। दिसंबर 1988 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व नारायण दत्त तिवारी ने नौगढ़ आकर बस्ती जिले के डुमरियागंज, बांसी तथा नौगढ़ तहसील के हिस्से को अलगकर सिद्धार्थ नगर के नाम से नए जिले के सृजन की घोषणा की। बाद में इस जिले में शोहरतगढ़ तथा इटवा के नाम से दो और तहसील बनाए गए।
सिद्धार्थ नगर नाम से जिला तो बन गया लेकिन बाकी के नाम जस के तस है। इसमें सबसे बड़ा कनफ्युजन नौगढ़ रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर है। जाहिर है जिला बना तो दूरदराज के अफसरों कर्मचारियों का स्थानांतरण आदि तो होगा ही। उन्हें सिद्धार्थ नगर के लिए भेजा जाता है। अब जब वे किसी रेलवे स्टेशन पर सिद्धार्थ नगर का टिकट लेने जाते हैं तो उन्हें इस नाम के रेलवे स्टेशन नही होने का टका सा जवाब दिया जाता है। सोचिए यदि आप नौगढ़ नाम के स्टेशन से वाकिफ नही हैं तो आप को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कहना न होगा कि जिला सृजित होने के बाद से ही नौगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम सिद्धार्थ नगर करने की मांग की जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरवदेश्वर शुक्ल कहते हैं कि सूबे की योगी सरकार को जनसरोकार से मतलब नहीं है। उनका हर फैसला वोट और राजनीतिक दृष्टि से होता है।

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