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महाराजगंज

अब नेपाल सीमा पर NRC की दहशत, सीएम योगी के बयान से मची खलबली

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा था कि जरूरत पड़ी तो यूपी में भी कराएंगे एनआरसी।

महाराजगंजAug 14, 2018 / 12:30 pm

रफतउद्दीन फरीद

NRC

एनआरसी

यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. नेपाल सीमा के करीब हजारों वासिंदों को एनआरसी का खौफ सताने लगा है। इन्हें डर है कि यदि यूपी में भी एनआरसी लागू हुआ तो उन पर गाज गिरनी तय है। हाल ही मेरठ में संपन्न भाजपा के प्रदेश कार्य समिति की बैठक में सीएम योगी ने साफ कहा कि जरूरत पड़ी तो वे यूपी में भी एनआरसी कराएंगे। इसके तुरंत बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद ओम माथुर ने जयपुर के झुंझुनू में इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही है।
इसमें कोई शक नहीं कि दूसरे देशों के हजारों घुसपैठिए भारत के विभिन्न प्रांतो में दशकों से रह रहे हैं और बाकायदे वह सब अधिकार हासिल कर लिए हैं जो भारत का नागरिक होने के लिए जरूरी है। कहना न होगा कि अभी हाल ही सोनौली नेपाल सीमा पर एक चाइनीज नागरिक सुरक्षा एजेेंसियों की पकड़ में आया था जो करीब दस साल से हैदराबाद में बाकायदे भारतीय नागरिक की तरह रह रहा था। उसने पेनकार्ड आधारकार्ड हासिल कर ही लिया था, वोटर लिस्ट में भी स्थानीय पते के आधार पर अपना नाम तक दर्ज करवा लिया था।
जांच में पुलिस ने उसके पास से यह सब कागजात बरामद किए थे। कहने का मतलब यह कि भारत की लचर सुरक्षा व्यवस्था का लाभ घुसपैठिए बहतु आसानी से उठा रहे हैं और हमारी सुरक्षा एजेंसियां ताकती रह जा रही है। अब अगर पड़ोसी मुल्क नेपाल जहां के मधेसी समुदाय के नागरिकों का सबकुछ भारतीय नागरिाकों की तरह मिल रहा हो, उनकी नाते रिश्तेदारियां भारत में हो और तो और उनके नाम की जमीन जायदाद तक हो तो उन्हें भारत में रहने से कैसे रोक सकते हैं। आज भी एक दो नहीं नेपाल सीमा के हजारों नागरिक ऐसे हैं जिनकी जमीने मकान आदि नेपाल में भी है। और ये गैर कानूनी ढंग से दोहरी नागरिक अधिकार का लाभ उठा रहे हैं।

यह तो रही पुरानी परंपरा जिसे दोनों देशों की सरकारें जानते हुए भी इस दिशा में कोई कानूनी कार्रवाई से बचती रही हैं। लेकिन इधर भारत के लचर कानून व सुरक्षा व्यवस्था का बेजा फायदा धड़ल्ले से उठाते हुए हजारों नेपाली नागरिकों ने भारत की न केवल नागरिकता हासिल कर ली है,वे यहां अपनी राजनीति भी चमकाने लगे हैं। इसमें से कुछ रसूखदार लोग भी जिनकी भारत के राजनीतिक घरानों तक सीधे पंहुच है।

यूपी के सात जिले नेपाल सीमा को स्पर्श करती है। ये हैं महराजगंज,सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच,गोंडा, पीलीभीत तथा श्रावस्ती। सूत्रों की मानें तो यूपी के इन जिलों के सीमावर्ती गांवों तथा कसबों में पिछले एक दशक से नेपाली नागरिकों की आवादी तेजी से बढ़ी है। अेकले महराजगंज और सिद्धार्थनगर जिले की बात करें तो यहां के सीमावर्ती गांवों कस्बों में करीब 20 हजार नेपाली नागरिकों ने जमीनें खरीदकर बाकायदे नागरिकता हासिल कर ली है। इन जिलों में कई गांव व कसबे ऐसे हैं जिसे मिनी नेपाल तक कहा जाता है। दूसरे देश के नागरिकों के लिए किसी भी दूसरे देश में जमीन खरीदना और नागरिकता हासिल कर लेना आसान नहीं है। लेकिन हैरत है कि भारत में यह कनून बेअसर है। तभी तो मजे से नेपालियों ने सीमावर्ती भूक्षेत्रों में धड़ल्ले से जमीनें खरीदकर भारतीय नागरिक बन बैठे। निवंधन विभाग इसकी जांच की जरूरत नहीं समझा और नेपालियों के नाम जमीनों की रजिस्टी करता रहता रहा। निवंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह जांच करना पुलिस अथवा अभिसूचना विभाग का काम है।

1998 के बाद जन युद्ध के समय आई तेजी
नेपाली नागरिकों का भारत की ओर रूख नया नहीं है। लेकिन इसमे तेजी 1998 के बाद आई जब नेपाल में राजा की सत्ता हटाने के लिए जन युद्ध शुरू हुआ। इसमें राजा समर्थकों को चुन चुन कर निशाना बनाया गया। उनकी जमीनों पर माओवादियों द्वारा कब्जा शुरू कर दिया गया। उस दौर में हजारों की तादाद में मधेसी मूल के नेपाली नागरिकों ने सीमायी भारतीय इलाकों की ओर रूख किया जो आज भारतीय नागरिक बन गए हैं। इनमें ऐसे लोगों की संख्या भी बहुतायत है जो नेपाल में संगीन अपराधों में वांछित है। जांच करने पर ऐसे अनेक उदाहरण मिलेंगे कि ऐसे नागरिक भारत में अलग आपनी राजनीति चमका रहा है और उसकी बीबी, पुत्र अथवा परिवार का सगा संबंधी नेपाली संसंद तथा विधानसभा में एमएलए एमपी बनकर अलग मजा कर रहा है। अपराधी प्रवृत्त के लोगों का भी नेपाल सीमा पर भार बढ़ा है जो मुकामी पुलिस के लिए अलग चुनौती है।
हम करेंगे इसकी मांग- विधायक
नेपाल सीमा के सुरक्षित विधानसभा सीट के भाजपा विधायक श्यामधनी राही ,जो सीधे तौर हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े हुए हैं, वे साफ तौर कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी ने यूपी में एनआरसी के बाबत अपनी राय व्यक्त कर दी है। अब हम इसकी शुरूआत नेपाल सीमा से करवाने की मांग करेंगे।

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