सिद्धार्थनगर आए बृजलाल पत्रिका से बात करते हुए कहा कि हाल ही केंद्र सरकार द्वारा एससी एसटी कानून में किए गए संशोधन को लेकर विपक्ष केवल भ्रम फैला रहा है और भाजपा सरकार को बदनाम कर रहा है। बृजलाल ने कहा कि पहले से कानून है कि सात वर्ष तक की सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी नहीं हो सकती फिर इस कानून के तहत फौरन गिरफ्तारी की बात कहां है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने दलित एक्ट में जो संशोधन किए हैं वे वास्तव में बहुत जरूरी थे। उन्होंने फिर मायवाती के दलित प्रेम को कटघरें में खड़ा करते हुए कहा कि उनका हुक्म था कि दलित उत्पीड़न के मामले में केवल मर्डर और बलात्कार जैसे जघन्य मामलों में एफआईआर हो। और दलित उत्पीड़न के मामले में मिलने वाला सरकारी इमदाद तब तक नहीं मिल सकता था जबतक एससीएसटी एक्ट लागू नहीं होता। भाजपा ने पूर्व के दलितों संबंधी 22 मामलों में विभिन्न प्रकार के 25 मामले और जोड़ दिए हैं और इससे मिलने वाले सरकारी इमदाद का सरलीकरण कर दिया है। कहा कि दलित उत्पीड़न के मामले में पीड़ित को जो सरकरी सहायता मिलती थी उसे भी बढ़ाकर चार गुना कर दिया है।
दलित उत्पीड़न के मामले में बृजलाल ने कहा कि हमारा पूर्वी यूपी इस मामले में शौभग्यशाली है कि यहां चैकाने वाले दलित उत्पीड़न की घटनाएं नहीं होती वरना भारत के ही कई प्रांत ऐसे है जहां दलित कन्याओं को मंदिरों में दान किए जाने की भी प्रथा है। कहा कि दलित उत्पीड़न के बदले हुए कानून का ही नतीजा है कि पुराने एक मामले में पूर्व मंत्री आजम खां के खिलाफ अब जाकर मुकदमा दर्ज हुआ है। कहा कि उन्होंने बाबा साबह का अपमान करने की दृष्टि से कहा था कि जिधर उंगुली दिखाइए वह जमीन हमारी है ही, बाकी जहां तक दिख रही है वह भी हमारी है। कहा कि दलित अब जागरूक हो चुका है। वह न तो अपना और अपने गाडफादर का अपमान नहीं बर्दाश्त कर सकता। वृजलाल ने भाजपा को दलितों का सबसे बड़ा हितचिंतक होने का दावा करते हुए कहा कि इस सरकार ने बिना वोट बैंक की परवाह किए दलितों को पूर्ण सुरक्षा देने का कानून बनाया। लेकिन यदि भाजपा दलितों की सचमुच बड़ी हित चिंतक है तो भाजपा के कई दलित सांसद अपनी ही सरकार के कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार बढ़ने की बात करते हैं, इस सवाल पर बृजलाल ने कहा कि उनके अपने अपने हित है। दलित उत्पीड़न से उनका कुछ नहीं लेना देना।।