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महाराजगंज

SCST आयोग में अपनों को बैठाने के लिए मायावती ने बदला था कानून

कानून बनाकर भाजपा ने दलितों को सुरक्षा की दी गारंटी

महाराजगंजNov 21, 2018 / 04:12 pm

sarveshwari Mishra

brij lal

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यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बसपा सुप्रीमों मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि वे दलितों की झूठी नेता हैं जबकि भाजपा असली! कहा कि यूपी में मुख्यतः तीन आयोग है। महिला आयोग, पिछड़ा आयोग और एससीएसटी आयोग। महिला आयोग के सारे पदों पर महिला, पिछड़ा आयोग के सारे पदों पर पिछ़ड़ें वर्ग के लोग लेकिन एससीएसटी आयोग में प्रमुख पदों पर गैर दलितों का मनोनयन हुआ करता था। कहा कि पूर्व की सपा सरकार में ऐसा ही होता रहा है। उन्होंने कहा कि जब वे इस पद पर मनोनीत हुए तो उन्हें लगा कि अखिलेश सरकार ने शायद कानून में परिवर्तन कर कोई ऐसी व्यवस्था लागू कर दी होगी जिससे अपने लोगों को समायोजित किया जा सके। लेकिन जब वे इसकी फाइल पलटवाए तो पता चला कि दलितों की सबसे बड़ी हितचिंतक होने का दावा करने वाली मायावती ने अपने शासनकाल में कानून बदलकर इस आयोग में गैर दलितों को प्रमुख पदों पर आसीन करने का रास्ता साफ किया था।

सिद्धार्थनगर आए बृजलाल पत्रिका से बात करते हुए कहा कि हाल ही केंद्र सरकार द्वारा एससी एसटी कानून में किए गए संशोधन को लेकर विपक्ष केवल भ्रम फैला रहा है और भाजपा सरकार को बदनाम कर रहा है। बृजलाल ने कहा कि पहले से कानून है कि सात वर्ष तक की सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी नहीं हो सकती फिर इस कानून के तहत फौरन गिरफ्तारी की बात कहां है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने दलित एक्ट में जो संशोधन किए हैं वे वास्तव में बहुत जरूरी थे। उन्होंने फिर मायवाती के दलित प्रेम को कटघरें में खड़ा करते हुए कहा कि उनका हुक्म था कि दलित उत्पीड़न के मामले में केवल मर्डर और बलात्कार जैसे जघन्य मामलों में एफआईआर हो। और दलित उत्पीड़न के मामले में मिलने वाला सरकारी इमदाद तब तक नहीं मिल सकता था जबतक एससीएसटी एक्ट लागू नहीं होता। भाजपा ने पूर्व के दलितों संबंधी 22 मामलों में विभिन्न प्रकार के 25 मामले और जोड़ दिए हैं और इससे मिलने वाले सरकारी इमदाद का सरलीकरण कर दिया है। कहा कि दलित उत्पीड़न के मामले में पीड़ित को जो सरकरी सहायता मिलती थी उसे भी बढ़ाकर चार गुना कर दिया है।
दलित उत्पीड़न के मामले में बृजलाल ने कहा कि हमारा पूर्वी यूपी इस मामले में शौभग्यशाली है कि यहां चैकाने वाले दलित उत्पीड़न की घटनाएं नहीं होती वरना भारत के ही कई प्रांत ऐसे है जहां दलित कन्याओं को मंदिरों में दान किए जाने की भी प्रथा है। कहा कि दलित उत्पीड़न के बदले हुए कानून का ही नतीजा है कि पुराने एक मामले में पूर्व मंत्री आजम खां के खिलाफ अब जाकर मुकदमा दर्ज हुआ है। कहा कि उन्होंने बाबा साबह का अपमान करने की दृष्टि से कहा था कि जिधर उंगुली दिखाइए वह जमीन हमारी है ही, बाकी जहां तक दिख रही है वह भी हमारी है। कहा कि दलित अब जागरूक हो चुका है। वह न तो अपना और अपने गाडफादर का अपमान नहीं बर्दाश्त कर सकता। वृजलाल ने भाजपा को दलितों का सबसे बड़ा हितचिंतक होने का दावा करते हुए कहा कि इस सरकार ने बिना वोट बैंक की परवाह किए दलितों को पूर्ण सुरक्षा देने का कानून बनाया। लेकिन यदि भाजपा दलितों की सचमुच बड़ी हित चिंतक है तो भाजपा के कई दलित सांसद अपनी ही सरकार के कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार बढ़ने की बात करते हैं, इस सवाल पर बृजलाल ने कहा कि उनके अपने अपने हित है। दलित उत्पीड़न से उनका कुछ नहीं लेना देना।।
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