स्वच्छता के मामले में बात करें तोे सिद्धार्थनगर जिले की हालत बड़ी निराशाजनक है। वह भी तब जिले में तीन तीन आईएएस अफसर तैनात हैं। इतनी काबिल टीम के होते हुए स्वच्छता अभियान में सिद्धार्थनगर जिले का स्थान 75वां है। अब इसकी गाज किसके उपर गिरेगी यह 13 ता को पता चलेगा। मायावती स्टाइल में मुख्यमंत्री किसी गांव की ओर भी रूख कर सकते हैं। जनप्रतिनिधि भी चाहेंगे कि मुख्यमंत्री जिला प्रशासन के दावे की असलियत भौतिक सत्यापन के जरिए जानें। कई जन प्रतिनिधि जिले के अफसरों से नाराज बताए जा रहे हैं।
सीएम सिद्धार्थनगर के इसके पहले के अपने दौरे पर भी कड़े तेवर दिखाए थे। स्वास्थ महकमें में मिली कुछ गड़बड़ी के चलते मंच से ही सीएमओ को सस्पेंड करने का फरमान सुनाया था। इस बार भी ऐसे ही फरमान की आशंका है लेकिन निशाने पर होगा कौन इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर हलकान अफसर आंकड़े दुरूस्त करने में मश्गूल हैं। उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन से लेकर राशन कार्ड और प्रधानमंत्री आवास तथा शौचालय तक के आंकड़े दुरूस्त किए जा रहे हैं।
सांसद और विधायकों के चैपाल में भी यही मामला छाया रहता है। अधिकांश चैपालों में सरकार की मंशा पर पलीता लगता हुआ दिखा। हाल ही एक जनप्रतिनिधि ने इसकी शिकायत मुख्य सचिव तक पहुंचा दी है। एक एक बिंदु की समीक्षा करने आ रहे मुख्यमंत्री की अपेक्षा पर खरा न उतरने वाले अफसरों का नपना तय है। जिले के विधायक और सांसद को भी अपनी जवाबदेही देनी होगी। जिले की हर ओर की खराब सड़कों का मुद्दा भी उठ सकता है सीएम की सभा में।
खराब सड़कें केंद्र सरकार के अधीन वाली है लेकिन इसके न बनने का दंश जिले के लोग झेल रहे हैं। नेपाल सीमा पर बने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय तक जाने वाले मार्ग पर चलना पहाड़ चढ़ने जैसा है। इसे लेकर लोगों में सरकार और अपने जनप्रतिनिधि के प्रति गुस्सा है। बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री किसी भी सूरत में माफी के पक्ष में नहीं होंगे। लापरवाही के लिए जिम्मेदार एक एक अफसर पर कार्रवाई तय है।
प्रशासन अपनी खामी छिपाने के लिए उसका बाजार के रेहरा गांव में मुख्यमंत्री को ले जाने की तैयारी में हैं ताकि वह स्वच्छता अभियान के लिए अपनी पीठ थपथपा सके। सीडीओ हर्षिता माथुर स्वयं इस गांव में डेरा डालकर शौचलयों के निर्माण में लगी हुई हैं। इस गांव में 170 शौचालय के सापेक्ष 160 का निर्माण हो चुका था। शेष बचे दस का भी निर्माण कराया जा रहा है। रेहरा गांव में मुख्यमंत्री को ले जानेे की तैयारी के इतर मुख्यमंत्री किसी अन्य गांव में भी जा सकते हैं, ताकि जिला प्रशासन की असलियत के दावे का पता चल सके।
मजे की बात है कि जनप्रतिनिधि भी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री असलियत जानें। ताकि उनके अफसरों की पेाल पट्टी सामने आ सके।