प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो बस में सवार लखनऊ निवासी ज्योति निर्वाण अपनी छह साल की बच्ची को कलेजे से लगाकर जलती बस के अंदर दौड़ दौड़कर राहगीरों से मदद की गुहार लगा रही थीं। बस के शीशे आग लगने के बाद लॉक हो चुके थे। ज्योति ने शीशा तोड़ने की भी कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वहां मौजूद ज्योति और उनकी बच्ची की चीख सुन तो पा रहे थे, लेकिन आग की भयावहता देख कोई चाहकर भी मदद नहीं कर पा रहा था।
बस में चालक और परिचालक भी मौजूद थे। उन्होंने भी बस से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन बस लॉक होने के कारण कामयाब नहीं हो सके। जब तक पुलिस और दमकल की गाड़ी मौके पर पहुंची, तब तक बस जलकर खाक हो चुकी थी। आग बुझने के बाद बस के अंदर का नजारा देख वहां मौजूद लोगों की रूह कांप गई। बस की गैलरी में ज्योति और उसकी बेटी का शव पड़ा था। दोनों एक दूसरे से चिपके थे। कुछ ही दूरी पर चालक और परिचालक के भी शव पड़े थे।
ऐसे हुआ था हादसा
दिल्ली के आनंद विहार से रविवार शाम को लग्जरी स्कैनिया बस लखनऊ के लिए चली थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के रास्ते होते हुए बस रात में करीब एक बजे मैनपुरी के करहल के पास पहुंची, उसी दौरान आगे चल रही एक बस का टायर फट गया। खुद को बचाने के चक्कर में लग्जरी बस ड्राइवर के नियंत्रण से बाहर हो गई और डिवाइडर से टकरा गई। जिससे उसमें आग लग गई थी। आग लगते ही बस के शीशे लॉक हो गए। इस दौरान ड्राइवर कंडक्टर समेत लखनऊ की ज्योति और उनकी छह साल की बच्ची नीति बस में फंस गए और जिंदा जलकर उनकी मौत हो गई। बता दें कि ज्योति लखनऊ के एसजीपीजीआई में सीनियर डिमॉन्स्ट्रेटर के पद पर तैनात थीं।