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‘चंद्रयान-2 रोाबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम’

Chandrayaan 2 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि भारत का दूसरा मून मिशन (Moon Mission) चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) रोबोटिक अंतिरिक्ष खोज की दिशा में देश का पहला कदम है और यह ज्यादा जटिल व पेचीदा है।

जयपुरJul 14, 2019 / 12:48 pm

जमील खान

Chandrayaan 2

Chandrayaan 2

Chandrayaan 2 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि भारत का दूसरा मून मिशन (Moon Mission) चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) रोबोटिक अंतिरिक्ष खोज की दिशा में देश का पहला कदम है और यह ज्यादा जटिल व पेचीदा है। राधाकृष्णन इस समय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (Indian Institute of Technology-Kanpur) के बोर्ड ऑफ गवनर्स के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा, इंडियन लैंड रोवर (विक्रम प्रज्ञान) कंबाइन रोबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम है और यह मिशन की तैयारी जारी है। जाहिर हे कि यह मिशन ज्यादा जटिल है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फोरमेशन टेक्नोलोजी डिजाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग (Indian Institute of Information Technology Design and Manufacturing) (IIITDM), कांचीपुरुम के सातवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि चांद की कक्षा की परिक्रमा करने वाला विक्रम कं पास करीब 6,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की परिक्रमा करते हुए खुद स्वत: अपनी रफ्तार को कम और ज्यादा करने की क्षमता होगी और यह चांद के अपरिचित क्षेत्र में सुरक्षित उतर सकता है।

उन्होंने कहा, यह पूरा कार्य 16 मिनट के भीतर होगा और उतरते समय यह खुद ही उतरने की जगह भी तय करेगा। पूरे देश की नजर इसकी ओर है। राधाकृष्णन 2009 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख बने और प्रथम चंद्रयान मिशन के एक साल बाद 2014 तक इस पद पर बने रहे। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि से भारत की परिकल्पना, डिजाइन, विनिर्माण का करने और आरंभ से अंत तक की प्रक्रिया के आधार पर जलिट व अत्यंत उन्न प्रौद्योगिकी को काम में लाने की क्षमा प्रतिपादित होती है।

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