कार्यक्रम का आयोजन सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म (एसआईएलएफ) और मेनन इंस्टीट््यूट ऑफ लीगल एडवोकेसी ट्रेनिंग (एमआईएलएटी) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विधि स्कूल कानूनी पेशेवरों को तैयार करने की जगह है, जो विधि के शासन के अमल के लिए प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं और विकास में जबरदस्त योगदान देते हैं। विधि शिक्षा एक विज्ञान है जो कानून के छात्रों को परिपक्वता की भावना और समाज की समझ देता है और उन्हें नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में उभरने के लिए ढालता है।
उन्होंने कहा, विधि शिक्षा एक विज्ञान है जो कानून के छात्रों को न केवल कुछ कानूनी प्रावधानों का ज्ञान देता है बल्कि परिपक्वता की भावना और समाज की समझ भी देता है जो उन्हें नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में उभरने के लिए ढालता है। उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान देश में कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सबसे सफल कवायद साबित हुई है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि आज के परिदृश्य में विधि स्कूलों के लिए भी जरूरी हो गया है कि वे दुनिया में हो रहे बदलावों एवं समाज के समकालीन मुद्दों को भी ध्यान में रखें। गौरतलब है कि इस साल का प्रतिष्ठित एसआईएलएफ-एमआईएलएटी प्रोफेसर एन आर माधव मेनन सर्वश्रेष्ठ विधि शिक्षक पुरस्कार बेंगलूरु के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आर वेंकट राव को दिया गया।