scriptजंगलों में थी रूचि, जंगल को ही बना लिया कॅरियर, मिला पैसा और अवॉर्ड, जाने कहानी | krithi karanth motivational story in hindi | Patrika News
मैनेजमेंट मंत्र

जंगलों में थी रूचि, जंगल को ही बना लिया कॅरियर, मिला पैसा और अवॉर्ड, जाने कहानी

नए शोधों से अवगत रहें। खुद को घर से बाहर निकालें। चाहे पक्षियों को देखना हो, लोगों से बात करना हो या कैमरा ट्रैप लगाना हो। सभी का सहयोग करने में सक्षम होना चाहिए।

जयपुरFeb 02, 2019 / 06:37 pm

सुनील शर्मा

success mantra,Management Mantra,motivational story,career tips in hindi,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,krithi karanth biography in hindi,krithi karanth,

success mantra,Management Mantra,motivational story,career tips in hindi,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,krithi karanth biography in hindi,krithi karanth,

वन्यजीव संरक्षक वैज्ञानिक कृति को ‘विंग्स वर्ल्ड क्वेस्ट’ द्वारा ‘2019- वीमेन ऑफ डिस्कवरी अवार्ड’ के लिए चुना गया है। विंग्स वर्ल्डक्वेस्ट एक ऐसा संगठन है, जो महिला वैज्ञानिकों को उनके संबंधित क्षेत्रों में असाधारण कामों के लिए सम्मानित करती है। उन्हें यह अवार्ड अन्य विशेषज्ञ महिलाओं डॉ. लिसी लिचेनफेल्डफेन, मैंडे होल्फोर्ड और डारलेन लिम के साथ मिलेगा।

बचपन बीता प्रकृति के संग
कृति का बचपन दूसरे बच्चों से अलग था। उनका जन्म मैंग्लोर में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां सभी को जंगल, जानवर और कीमती प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का जुनून था। उनके पिता एक टाइगर बायोलॉजिस्ट और संरक्षणवादी हैं, और दादा प्रमुख पर्यावरणविद् थे। इसीलिए पिता के साथ कई यात्राओं पर जाने के कारण उनका अधिकांश बचपन जानवरों, जंगलों और प्रकृति को देखते हुए बीता। जंगल घूमना, जानवर देखना उन्हें पसंद था, लेकिन इस क्षेत्र की उन ढेरों परेशानियों को भी उन्होंने देखा था, जिनका सामना उनके पिता करते थे। इसलिए शुरू में वह इसमें अपना कॅरियर नहीं बनाना चाहती थीं।

लिख चुकी है बच्चों की किताब
यही नहीं, वह उस कॅरियर को भी फॉलो नहीं करना चाहती थीं, जो उनके पिता व परिवारवाले चाहते थे। वह पर्यावरण विज्ञान और जियोग्राफी पढ़ रही थीं, मगर उनका आकर्षण धीरे-धीरे वन्यजीव संरक्षण की ओर होने लगा। वह इसमें अपनी रुचि को नहीं दबा सकीं। इसके बाद उन्होंने येल और फ्लोरिडा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से बीएस और ड्यूक विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

कृति के मुताबिक उन्हें बहुत सारी अलग-अलग चीजें करने का अवसर मिला, जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने राघव के.के. के साथ बच्चों की पुस्तक का सह-लेखन भी किया। पिछले 20 सालों से कृति देश में अपने अलग-अलग शोधों पर काम कर रही हैं। उनकी पहली परियोजना 2002 में कर्नाटक में थी, जहां उन्होंने लोगों के स्वैच्छिक पुनर्वास और आजीविका संबंधी बातों का अध्ययन किया। वर्तमान में ‘वाइल्डसेव’ नामक एक परियोजना पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारत, ऑस्ट्रेलिया,ब्रिटेन और अमरीका के 100 से अधिक वैज्ञानिकों से प्रेरणा ली है, जो वन्यजीव के बेहतरी के लिए प्रयास करते हैं और मानव गतिविधियों को प्रभावित करने का अध्ययन करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

कहती हैं- ‘लोगों को लगता है कि आपको संरक्षण में होने के लिए जीव विज्ञान का अध्ययन करने की आवश्यकता है, लेकिन अगर आप गणित, सांख्यिकी, भूगोल, अर्थशास्त्र में अच्छे हैं, तब भी इस काम को कर सकते हैं। इन विषयों में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने से पहले आपको स्वयंसेवक के तौर पर काम करके अनुभव इकट्ठा करना होगा।’

Home / Education News / Management Mantra / जंगलों में थी रूचि, जंगल को ही बना लिया कॅरियर, मिला पैसा और अवॉर्ड, जाने कहानी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो