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Motivational Story : फिल्मी बैकग्राउंड होने के बावजूद संघर्ष करना पड़ा था शशि कपूर को

बॉलीवुड में शशि कपूर का नाम एक ऐसे अभिनेता के तौर पर लिया जाएगा जिन्होंने अपने रोमांटिक अभिनय के जरिए लगभग तीन दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया।

Mar 17, 2019 / 04:10 pm

जमील खान

Shashi Kapoor

Shashi Kapoor

बॉलीवुड में शशि कपूर का नाम एक ऐसे अभिनेता के तौर पर लिया जाएगा जिन्होंने अपने रोमांटिक अभिनय के जरिए लगभग तीन दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। शशि कपूर (मूल नाम बलबीर राज कपूर) का जन्म 18 मार्च, 1938 को हुआ था और बचपन से ही उनका रूझान फिल्मों की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और भाई राजकपूर और शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता थे। उनके पिता यदि चाहते तो वह उन्हें लेकर फिल्म का निर्माण कर सकते थे, लेकिन उनका मानना था कि शशि कपूर संघर्ष करें और अपनी मेहनत से अभिनेता बनें।

शशि कपूर ने अपने सिने कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की। चालीस के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया। इनमें 1948 की ‘आग’ और 1951 में प्रदर्शित ‘आवारा’ फिल्म शामिल है जिसमें उन्होंने अभिनेता राजकपूर के बचपन की भूमिका निभाई थी। पचास के दशक में शशि कपूर अपने पिता के थियेटर से जुड़ गए।

इसी दौरान भारत और पूर्वी एशिया की यात्रा पर आई बर्तानवी नाटक मंडली शेक्सपियेराना से वह जुड़ गए जहां उनकी मुलाकात मंडली के संचालक की पुत्री जेनिफर केडिल से हुई। वह उनसे प्यार कर बैठे और बाद में उनसे शादी कर ली। शशि कपूर ने अभिनेता के रूप में सिने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्म पुत्र’ से की। इसके बाद उन्हें विमल राय की फिल्म ‘प्रेम पत्र’ में भी काम करने का

अवसर मिला, लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुईं। इसके बाद उन्होंने मेंहदी लगी मेरे हाथ, होली डे इन बांबे और बेनजीर जैसी फिल्मों में भी काम किया, लेकिन ये फिल्में भी टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गईं। वर्ष 1965 उनके सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी ‘जब जब फूल खिले’ प्रदर्शित हुई। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबर्दस्त कामयाबी ने शशि कपूर को भी ‘स्टार’ के रूप में स्थापित कर दिया।

वर्ष 1965 में उनके सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म फिल्म ‘वक्त’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में उनके साथ बलराज साहनी, राजकुमार और सुनील दत्त जैसे नामी सितारे थे। इसके बावजूद वह अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इन फिल्मों की सफलता के बाद शशि कपूर की छवि रोमांटिक हीरो की बन गई और निर्माता-निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी रूमानी छवि को भुनाया।

वर्ष 1965 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में शशि कपूर ने जिन फिल्मों में काम किया, उनमें अधिकतर फिल्में हिट साबित हुईं। अस्सी के दशक में शशि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और ‘जुनून’ फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने कलयुग, 36 चैरंगी लेन, विजेता, उत्सव आदि फिल्मों का भी निर्माण किया। हालांकि ये फिल्म टिकट खिड़की पर ज्यादा सफल नहीं हुई, लेकिन इन फिल्मों को समीक्षकों ने काफी पसंद किया।

वर्ष 1991 में अपने मित्र अमिताभ बच्चन को लेकर उन्होंने अपनी महात्वाकांक्षी फिल्म ‘अजूबा’ का निर्माण और निर्देशन किया, लेकिन कमजोर पटकथा के अभाव में फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई। हालांकि, यह फिल्म बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुई। शशि कपूर के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और नंदा के साथ काफी पसंद की गई। इन सबके बीच शशि कपूर ने अपनी जोड़ी सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ भी बनाई और सफल रहे। यह जोड़ी सर्वप्रथम फिल्म ‘दीवार’ में एक साथ दिखाई दी। बाद में इस जोड़ी ने इमान धर्म, त्रिशूल, शान, कभी कभी, रोटी कपड़ा और मकान, सुहाग, सिलसिला, नमक हलाल, काला पत्थर और अकेला में भी काम किया और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।

नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण शशि कपूर ने फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिन्ना’ उनके सिने कैरियर की अंतिम फिल्म है जिसमें उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई। उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया है। उनको फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के से नवाजा गया है। अपनी रूमानी अदाओं से दर्शकों के दिलों में खास पहचान बनाने वाले शशि कपूर चार दिसंबर, 2017 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

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