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महंगी होती जा रही शिक्षा बढ़ा रही एजुकेशन लोन का बोझ

कई बार अभिभावकों को प्रॉपर्टी भी गंवानी पड़ती है

Jul 31, 2017 / 02:24 pm

जमील खान

Student Loan

Student Loan

नई दिल्ली। दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही शिक्षा की वजह से स्टूडेंट्स को एजुकेशन लोन लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। चूंकि आजकल नौकरी पाना भी बहुत मुश्किल हो गया है, इसलिए एजुकेशन लोन को न चुका पाने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में डिफॉलटर्स की बढ़ती संख्या अच्छी बात नहीं है क्योंकि ऐसे स्टूडेंट्स को भविष्य में कोई भी लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार अभिभावकों को प्रॉपर्टी भी गंवानी पड़ती है। अगर आप एजुकेशन लोन के बोझ तले नहीं दबना चाहते तो इन तरीकों को अपना सकते हैं –

सावधानी से चुनें कोर्स

जब भी आप विदेश में पढ़ाई के लिए जाना चाहें तो अपने लिए कोर्स, कॉलेज, देश आदि बहुत ही सावधानी के साथ चुनें। अंतिम फैसला करने से पहले विभिन्न देशों, उनके कॉलेजों और कोर्सेज के बारे में अच्छे से जांच-पड़ताल कर लें और यह भी देख लें कि इसके बाद भविष्य में आपको नौकरी मिलने के कितने अवसर हैं। इसके लिए स्टूडेंट्स को उस इंडस्ट्री के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जिसमें वह अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं और उसी के आधार पर अपने लिए कॉलेज और कोर्स चुनना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो भविष्य में नौकरी में आसानी होती है जिससे आप एजुकेशन लोन आराम से चुका सकते हैं।

स्कॉलरशिप पर दें जोर
अगर आप विदेश में पढ़ाई या किसी महंगे इंस्टीट्यूट में कोई कोर्स करना चाहते हैं तो सबसे पहले फैमिली सेविंग्स और स्कॉलरशिप को अपना रिसोर्स बनाएं। अभिभावक भी अपनी लोन चुकाने की काबिलियत को देख लें क्योंकि अगर बच्चा लोन नहीं चुका पाता तो उन्हें बच्चे का एजुकेशन लोन चुकाना होता है।

स्मार्ट स्ट्रेटिजी बनाएं

जब आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा हो, तभी से आप लोन का ब्याज चुकाना शुरू कर दें। साथ ही अपने बच्चों को पढ़ाई के दौरान होने वाली पूरी फाइनेंशियल प्लानिंग का भी हिस्सा बनाएं, ताकि वह पढ़ाई के दौरान और उसके बाद भी पार्ट-टाइम काम के जरिए कमाने के अवसर ढूंढ़ सके और अपना एजुकेशन लोन सही समय पर चुका सके।

डिफॉल्ट करने से बचें

आमतौर पर एजुकेशन लोन 5-7 साल तक के लिए होते हैं। हालांकि 7.5 लाख रुपए से ऊपर के लोन में यह 10-15 साल तक के लिए बढ़ा दिए जाते हैं। लोन की रीपेमेंट कोर्स खत्म होने के एक साल बाद या नौकरी मिलने के छह महीने बाद (जो पहले हो जाए) शुरू होती है। एजुकेशन लोन नहीं चुकाने पर स्टूडेंट्स डिफॉल्टर बन जाते हैं और उन्हें भविष्य में कोई और लोन लेने में काफी मुश्किल होती है।

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