चार साल पहले 1400, अब 96 में सिमटे मलेरिया केस
2022 तक मलेरिया मुक्त जिला के लिए चल रहा कार्य
चार साल पहले 1400, अब 96 में सिमटे मलेरिया केस
मंडला. जिले को मलेरिया मुक्त करने का अभियान चल रहा है लेकिन तीन साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया रोगी निकल रहे हैं। हाल ही में ग्राम पंचायत बोरिया में एक साथ पांच मलेरिया रोगी निकलने से लोगों में भय का वतावरण बन गया है। लोग कोरोना संक्रमण के बाद मलेरिया से बचने का प्रयास कर रहे हैं। टीम द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि मलेरियामुक्त भारत बनाने के लिए डेमोस्ट्रेशन प्रोजेक्ट लांच करने के लिए पूरे भारत में केवल मंडला जिले को चुना गया है। जिसे मंडला-मलेरिया एलिमिनेशन डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट (एमएईडीपी) नाम दिया गया है। यहां पर पीपीपी के माध्यम से 2022 तक जिले को मलेरिया नियंत्रण व मुक्त बनाने शासकीय अमला के साथ सनफार्मा कंपनी कार्य कर रही है। जिले में 2020 में जनवरी से जुलाई माह तक 96 केस मिले हैं। जिसमें से 54 रोगी प्रवासी हैं।
मिली सफलता तो देश में होगी लागू
मलेरिया मुक्त जिला बनाने के लिए कंपनी द्वारा नॉट फॉर प्रॉफिट फांउडेशन के माध्यम से जिला में कार्य किया जा रहा है। जिसमें वर्ष 2018 से परियोजना पर कार्य चल रहा है। मलेरिया विलोपन प्रदर्शन परियोजना के कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर बुखार के मरीजों का पता लगाया जा रहा है। बुखार के मरीज मिलने पर परिजनों की सहमति के बाद नि:शुल्क मलेरिया की जांच भी की जा रही है। जिसकी रिपोर्ट 15 से 30 मिनिट के अंदर दी जा रही है। बताया गया कि जिले में यह प्रोजेक्ट सफल रहता है तो इसे प्रदेश सहित पूरे भारत में लांच किया जाएगा। इससे भारत को भी मलेरिया मुक्त किया जा सके।
बताया गया किया मलेरिया विलोपन प्रदर्शन परियोजना के तहत चलाए रहे अभियान के तहत ग्रामीण में मच्छरों को पकडऩे विशेष प्रकार की अल्ट्रा यूवी लाइट का उपयोग किया जा रहा है। मवई ब्लॉक में कार्य चल रहा है जिसमें मलेरिया फैलाने वाले एनाफिलिस मच्छरों को पकड़कर जांच की जा रही है। वितरित किए गए दवायुक्त मच्छरदानी की भी जांच की जा रही है।
बिछिया ब्लॉक में सामने आ रहे मलेरिया रोगी
जानकारों के अनुसार, जंगली व पहाड़ी क्षेत्र में मलेरिया होने की संभावना रहती है। यहां जगह-जगह जल भराव के कारण लार्वा पनपते हैं। वर्ष 2020 में सबसे अधिक मलेरिया के मामले बिछिया क्षेत्र में आए है। यहां सात माह में 57 केस मिले हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। सप्ताहिक बाजारों में स्टॉल लगाकर मलेरिया की जांच जाती रही है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण घर-घर सर्वे कार्य ही किया जा रहा है।
बारिश में अधिक खतरा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्रीनाथ सिंह का कहना है बरसात के दिनों में वेक्टर जनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकिनगुनिया, फायलेरिया (हाथी पांव) जैसे गंभीर बीमारी होती है। गंदा पानी, नाली, गडढों में पानी एकत्रित होने से मच्छर के लारवा पनपते हैं। मादा एनाफिलिस मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। डेंगू का लार्वा साफ पानी में पैदा होता है जैसे कूलर, टूटे हुए टायर, टंकी में एडीज मच्छर के लार्वा पनपते हैं। एडीज मच्छर के काटने से डेंगु होता हैं। इसी प्रकार चिकुनगुनिया का वायरस सीधे हडï्डी पर अटैक करता है जिसे असहनीय दर्द होता है। जिनसे बचने के लिए घर के आसपास की सफाई रखें। पानी इक्कठा न होने दें तथा गडï्ढों को भरे जाएं। कूलर व टंकी के पानी को एक सप्ताह में खाली करें। नीम का धुआं करें, शाम के समय खिड़की दरवाजे बंद रखें तथा रात्रि में सोते समय मच्छर दानी का उपयोग करें। बुखार आने पर नजदीकी अस्पताल जाकर खून की जांच कारायें एवं ग्रामीण क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता के पास जाकर खून की जांच कराएं और दवाएंं प्राप्त करें।
फैक्ट फाइल
वर्ष रोगी
2016 1419
2017 538
2018 330
2019 196
2020 96
(वर्ष 2020 जनवरी से जुलाई माह तक)
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