शहीदों की याद में नहीं बना कोई स्मारक
मंडला•Oct 21, 2021 / 05:16 pm•
Mangal Singh Thakur
Administration forgot those who lost their lives
मंडला. अपने कर्तव्य को इस तरह निभाया जाए कि उस पथ पर चलते चलते जान ही चली जाए तो इसे कर्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा। अपनी जान गवांकर जिले के पुलिसकर्मियों ने समाज के चारों ओर सुरक्षा की दीवार को और अधिक मजबूत कर गए लेकिन समाज ने ही उन्हें भुला दिया। प्रशासन भी हर बार की तरह शहीद दिवस पर उन्हें याद कर अपनी खानापूर्ति करते हैं लेकिन ऐसे वीर शहीदों की यादों को बच्चों, किशोरों और युवाओं के मन मे ताजा रखा जाए ताकि पूरा समाज उनकी कर्तव्यनिष्ठा से प्रेरित हो ऐसा न कोई प्रयास जिला प्रशासन ने अब तक किया और न ही कोई स्मारक, मार्ग या भवन का नाम इन शहीदों के नाम रखा गया। शहीदों के परिजन किसी से कुछ कहते तो नहीं लेकिन उनके मन में ये मलाल अवश्य है कि उनके बेटों को समाज ने भुला दिया है।
आर्थिक तंगी के शिकार शहीद अशोक कुमार के वृद्ध माता पिता
किसी जवान के देश के नाम शहीद हो जाने पर हर देशवासी शहीद की अमरता के नारे लगाते नहीं थकते। बड़े बड़े नेता मंत्री अधिकारी सभी उसके अंतिम संस्कार में शामिल होकर अपने आप को धन्य समझते हैं। राजकीय सम्मान के साथ भारत माता की जयघोषों के बीच अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके बाद शहीद के परिजनों की पूछ परख करना या उनका हालचाल तक जानना शासन प्रशासन पूरी तरह से भूल जाता है। जिले की तहसील निवास के ग्राम कोहानी ऐसे ही शहीद की जन्मस्थली है जहां 7 फरवरी 2017 को गुना जिले में पुलिस आरक्षक अशोक कुमार उरैति बदमाशों की गोली लगने से शहीद हो गए। पेशी कराकर लौटते समय बदमाशों ने उन्हें गोली मारी। शहीद अशोक अंतिम संस्कार गृहग्राम कोहानी में राजकीय सम्मान के साथ हुआ। शहीद अशोक कुमार के वृद्ध माता पिता का बुढ़ापे का सहारा छिन जाने के बाद इनकी आर्थिक हालत दयनीय हो गई है मां के जांघ के आपरेशन के कारण चलने में बहुत दिक्कत होती है और आंख में कम दिखता है सो अलग। यही हाल पिता रुपलाल उरैती का है जिनकी एक आंख में मोतियाबिन्द हो जाने से केवल एक आंख से ही देख पाते हैं।
यूं तो शहीदों को परिजनों को आर्थिक सहायता के नाम पर बड़ी राशि दी जाती है लेकिन शहीद के पिता बताते हैं कि हमें किसी प्रकार से कोई सहायता नहीं मिली हैण् वर्ष 2017 में ग्राम कोहानी में ही 15 अगस्त को तहसीलदार और सीईओ निवास द्वारा सम्मान करते हुए कहा गया था ग्राम पंचायत सचिव को पक्के मकान के लिये निर्देशित किया गया था किंतु आज भी ये परिवार कच्चे टूटे फूटे मकान पर रहने को मजबूर है।
नहीं बना कोई स्मारक
जानकारी के अनुसार नागेंद्र तेकाम पिता नारायण टेकाम उम्र 37 वर्ष का ड्यूटी के दौर सी आर पी एफ ग्वालियर में पदस्थ थे। ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में रहने वाले नागेंद्र ने अपनी तबीयत का भी ध्यान न रखा और ड्यूटी करते रहे अचानक पेट में दर्द हुआ। अस्पताल जाते समय निधन हो गया। इनका निधन 2 जुलाई 2021 दिन शुक्रवार को शाम 6 बजे हुआ। शनिवार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में जवान का राजकीय सम्मान के साथ किया गया। आज तक इनकी याद और सम्मान में कोई स्मारक नहीं बनाया गया, जिसका अफसोस पीडि़त परिवार को अब भी है।