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मंडला

जिले में मिलावट का कारोबार जोरों पर

3 अधिकारी, 51 दिनों में ले पाए सिर्फ 61 सैंपल

मंडलाAug 29, 2019 / 06:38 pm

Sawan Singh Thakur

मंडला। भले ही खाद्य सुरक्षा विभाग का यह मानना है कि पिछले 51 दिनों में इक_ा किए गए खाद्य पदार्थों के 61 सैंपल पर्याप्त हैं लेकिन आदिवासी बाहुल्य जिले में तेजी से जड़े जमा रहे मिलावट के कारोबारी इसी विभागीय सुस्ती का फायदा पूरी तरह से उठा रहे हैं। मिलावट के व्यापारी एक ओर जिलेवासियों की सेहत से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं तो दूसरी ओर व्यापारियों का हौसला बुलंद होता जा रहा है। जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की धीमी कार्रवाई ने मिलावट के कारोबारियों को निश्ंिचत कर रखा है। विभागीय जानकारी के मुताबिक, जुलाई 2019 के 31 दिन और अगस्त के 20 दिन, कुल 51 दिनों मेें मात्र 61 सैंपल ही लिए जा सके हैं। विडंबना है कि इतने से संैपल जिले भर से लिए गए हैं जबकि जिले भर में तीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी नियुक्त हैं और प्रत्येक अधिकारी के जिम्मे तीन-तीन विकासखंड हैं।
यानि औसतन 50 दिनों में एक अधिकारी ने मात्र 20 सैंपल ही कलेक्ट किए और प्रत्येक विकासखंड से औसतन 7 सैंपल कलेक्ट किए गए। आंकड़ों से विभागीय अधिकारियों की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
45 सैंपल दूध-मिल्क प्रोडक्ट
विभागीय जानकारी के अनुसार, 1 जुलाई 2019 से 20 अगस्त के दौरान जिले भर से दूध और दूध से बने पदार्थों के कुल 45 सैंपल कलेक्ट किए गए। 16 सैंपल अन्य खाद्य पदार्थों के एकत्र किए गए। विभाग द्वारा सबसे अधिक सैंपल फेरी दूध वालों से इक_ा किए गए जो इनका सबसे आसान शिकार होते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई और लिए जा रहे संैपल स्थाई और छोटे व्यापारियों के इस शिकायत की पुष्टि कर रहे हैं कि विभागीय अधिकारियों को सिर्फ छोटे और अस्थाई दुकानदार ही दिखाई पड़ते हैं। बड़े व्यापारियों के दुकानों से सैंपल लेने में विभागीय अधिकारी आना-कानी करते हैं। अपनी साइकिलों और बाइक से गांव-गांव और शहर-शहर लोगों के घरों में दूध देने वाले अधिकांश दूध वालों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की अधिकांश कार्रवाई सिर्फ उनसे नमूने लेने तक ही सीमित है। पिछले 51 दिनों में सर्वाधिक नमूने फेरी के दूधवालों से ही लिए गए। फेरी से दूध बेचने वालों के बाद छोटे फल वाले एवं सब्जी व्यापारियों पर सर्वाधिक कार्रवाई करके विभागीय अधिकारी अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं।

एक्सपायरी सामग्रियों का बड़ा कारोबार
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, जिले की ज्यादातर किराना दुकानें मिलावटी और एक्सपायर हो चुकी खाद्य पदार्थों की बिक्री का मानो गढ़ बन चुकी हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा बड़ी किराना दुकानों में कार्रवाई करने से बचा जा रहा है। बड़ी किराना दुकानों से एक्सपायर हो चुकी खाद्य पदार्थों की बड़ी खेप हर दिन छोटे छोटे दुकानों में भिजवाई जा रही है। किराना व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि खपाई जा रही एक्सपायरी डेट की खाद्य सामग्रियों में पैक्ड बेसन, मैदा, सूजी, सिवैंया, वेफर्स, स्नैक्स, मिक्चर, नमकीन आदि शामिल हैं। जो धड़ल्ले से पूरे जिले में खपाई जा रही हैं। अनुमान के मुताबिक, जिले भर में प्रति माह लगभग 2.5 से तीन लाख रुपए के एक्सपायरी डेट के खाद्य पदार्थ खपाए जा रहे हैं। त्योहारी बाजार में यह आंकड़ा दुगुने से भी अधिक हो जाता है।
फैक्ट फाइल:
जिले भर में –
खाद्य पदार्थ दुकानें
किराना 5 हजार
फल 50
दूध 25
बेकरी 10
मिष्ठान्न 30
चाट-पकौड़े 300
नाश्ते की होटलें 150
फेरी दूध वाले 250
आइसक्रीम 15
(इनमें पंजीकृत-अपंजीकृत दुकानें शामिल हैं।)
फैक्ट फाइल:
61 सैंपल – एकत्रीकरण
02 सैंपल- विवेचना में
58 सैंपल- लैब में
01 सैंपल- निराकृत
03 माह- प्रति सैंपल निराकरण अवधि

धीमी है प्रक्रिया
खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि एक सैंपल का निर्णय कोर्ट से आने में न्यूनतम 3 माह का समय लगता है। ज्यादातर मामलों में इससे अधिक समय लगता है। अभी कोर्ट ने जिस सैंपल का निर्णय लिया है। उसे विक्रेता को भेजने के बाद 30 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। यदि विक्रेता 30 दिनों में अपने सैंपल को सेंट्रल लैब भेजने की लिखित अपील नहीं करता तो उसके खिलाफ मामला बनाया जाता है। 30 दिनों पहले उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
वर्जन:
जिले भर में सैंपल लेने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। 1 जुलाई से 20 अगस्त के दौरान 61 सैंपल लिए गए हैं। जो सामान्य से अधिक नमूने हैं।
वंदना जैन, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, मंडला।

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