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मंडला

खेती के साथ पशु-मत्स्य पालन भी जरूरी

कार्यशाला में किसानों को मिली लाभ की खेती के टिप्स

मंडलाNov 17, 2020 / 09:54 pm

Mangal Singh Thakur

Along with farming, animal fisheries are also necessary

Along with farming, animal fisheries are also necessary

मंडला. नाबार्ड द्वारा जलवायु परिवर्तन और उसके कृषि एवं सबंधित क्षेत्रों पर प्रभाव विषय पर जिला स्तरीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर द्वारा कृषि एवं जलवायु परिवर्तन के विषय में संबोधित किया गया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की मार छोटे और मध्यम किसानों पर सबसे अधिक होती है क्योंकि उनमें आर्थिक तौर पर इन प्रभावों को सहन करने की क्षमता कम होती है। इसके लिए किसानों को अपनी फसल चयन में विविधता लानी चाहिए। किसान खेती के साथ-साथ पशु एवं मत्स्य पालन को अपनाकर अपनी आजीविका को सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने इस विषय पर जिले के लिए चयनित एक जिला एक उत्पाद फसल के अंतर्गत चयनित कोदो-कुटकी फसल के महत्व को बताया। भारत सरकार की एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना अंतर्गत किसान एवं उद्यमी कटाई के बाद फसल के प्रबंधन के लिए इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
जलवायु के अनुसार करें खेती
कार्यक्रम में नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक अखिलेश वर्मा ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि रखते हुए जलवायु परिवर्तन का कृषि एवं पशुपालन तथा उनके उत्पादन पर प्रभावों को बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को या तो कम किया जा सकता है या उसके अनरूप अपने फसल चयन को बदला जा सकता है। एफईएस संस्था के सीमांत मजूमदार द्वारा नाबार्ड की जलवायु परिवर्तन योजना अंतर्गत किए जा रहे कार्यों के विषय में प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुतीकरण किया गया। कृषि वैज्ञानिक डॉ विशाल मेश्राम द्वारा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों में उनकी समय अवधि तथा कीट पतंगों के जीवन चक्र तथा फसल के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है ।
सहायक संचालक आरडी जाटव ने किसानों को फसल उत्पादन के साथ-साथ फसल के व्यापार और मूल्य संवर्धन कर अपनी आय में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने एआईएफ योजना अंतर्गत समूह बनाकर छोटे-छोटे प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए उपस्थित कृषकों एवं समूह की महिलाओं को बताया। कार्यक्रम के दौरान जिले के उन्नतशील किसान पुन्नू लाल नंदा, शोभाराम मर्सकोले, दिवेश तिवारी ने अपने अनुभव को अन्य उपस्थित कृषकों के साथ साझा किया।

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