scriptशोषण का केंद्र बनी कला दीर्घा,10 वर्षो से टूट रहे श्रम नियम | Art gallery built in the center of exploitation | Patrika News
मंडला

शोषण का केंद्र बनी कला दीर्घा,10 वर्षो से टूट रहे श्रम नियम

कर्मचारियों को नहीं दिया जाता साप्ताहिक अवकाश

मंडलाMay 14, 2019 / 11:51 am

Vikhyaat Mandal

Art gallery built in the center of exploitation

Art gallery built in the center of exploitation

मंडला।आदिवासी कलाकारों की कला को मुख्य धारा से जोडऩे और कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए जिले में लगभग 10 वर्ष पूर्व जिस आर्ट गैलरी कला दीर्घा की शुरुआत की गई थी। वह कला दीर्घा जिले की एकमात्र ऐसे शोषण का केंद्र बन गई चुकी है जहां धड़ल्ले से श्रम अधिनियमों की अवहेलना की जा रही है और यह अवहेलना कई वर्षों से अनवरत जारी है। श्रम कानून के अनुसार, प्रत्येक निजी, अथवा शासकीय या अद्र्धशासकीय संस्थान में एक साप्ताहिक अवकाश का होना अनिवार्य है ताकि वहां कार्यरत कर्मचारियों को आराम मिल सके। लेकिन जिला मुख्यालय में संचालित कला दीर्घा को सप्ताह के सातों दिवस में खोला जा रहा है। इस संस्थान में किसी कर्मचारी को न ही कोई साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है और न ही सप्ताह के किसी विशेष दिवस पर इस संस्थान को बंद रखा जाता है। यही कारण है कि यहां कार्यरत सभी कर्मचारी सप्ताह के प्रत्येक दिवस अपनी सेवाएं देने को बाध्य हो रहे हंै। नर्मदा किनारे रपटा घाट पर स्थित कला दीर्घा को प्रतिदिन सुबह 12 बजे से रात्रि 8 बजे तक संचालित किया जा रहा है।
मजदूरों से भी कम भुगतान
सरकार द्वारा अकुशल तथा गैर-कृषि मजदूरों की न्यूनतम मजूदरी 246 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 350 रु प्रतिदिन या 9100 रुपये प्रति माह कर दिया है। यह न्यूनतम मजदूरी से भी कलादीर्घा में कार्य करने वाले कर्मचारियों को वंचित रखा जा रहा है। संबंधित विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कलादीर्घा में कार्यरत कर्मचारियों को 4000-5000 रुपए मासिक भुगतान किया जा रहा है। जाहिर है कि यहां सेवाएं देने वाले कर्मचारी को जिला प्रशासन मजदूरों से भी निम्न श्रेणी का कर्मचारी मान रहा है। यही कारण है कि उन्हें 246 या 350 रुपए प्रति दिन नहीं, लगभग 150 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जा रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कला दीर्घा में काम करने वाले कर्मचारियों का ने केवल मानसिक बल्कि आर्थिक रूप से भी शोषण किया जा रहा है।
न श्रम विभाग को जानकारी और न ही जिपं को रुचि जिला मुख्यालय के कला दीर्घा में वर्षों से टूट रहे श्रम कानून के बारे में न ही श्रम विभाग को कोई जानकारी है और न ही उन्होंने इस बारे में कभी किसी तरह की कार्रवाई करने में रुचि ली है। कला दीर्घा में कर्मचारियों के शोषण के बारे में जानकारी लेने के लिए जब श्रम विभाग से संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस बारे में जिला पंचायत सीईओ कार्यालय से भी संपर्क किया गया लेकिन सीईओ लाकरा से संपर्क नहीं हुआ।


कलाकृतियों का संग्रह है यहां
कला दीर्घा के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं यहां संग्रह की गई रॉट आयरन आकृतियां। बांस की बनी एक से बढ़कर एक कलाकृतियां, का संग्रह भी यहां किया गया है। इन कलाकृतियों को मंडला और डिंडोरी जिले के कलाकारों द्वारा निर्मित किया गया है। पीतल की बनी अद्भुत कलाकृतियों के अलावा, कपड़े आदि पर कसीदेकारी आदि यहां उपलब्ध हैं। इनके अलावा आदिवासी ग्रामीण अंचलों की महिला समूहों द्वारा बनाई जाने वाली खाद्य सामग्रियों, जड़ी बूटियां, आदि का वृहद संग्रह भी किया गया है और विक्रय किया जाता है।

Home / Mandla / शोषण का केंद्र बनी कला दीर्घा,10 वर्षो से टूट रहे श्रम नियम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो