scriptबैगाचक में बैगा मां-बेटे की मौत | Baiga mother-son death in Bagachak | Patrika News

बैगाचक में बैगा मां-बेटे की मौत

locationमंडलाPublished: Aug 14, 2019 06:56:44 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

यहां झिरिया के पानी से प्यास बुझाते हैं बैगा

Baiga mother-son death in Bagachak

Baiga mother-son death in Bagachak

मंडला. जिला मुख्यालय के सबसे दूरस्थ अंचल मवई के बैगा बाहुल्य गांव में बैगा महिला और उसके पांच वर्षीय बच्चे की मौत से पूरे गांव में गम का माहौल है। बैगा महिला की मौत उल्टी दस्त से और उसके बच्चे की मौत यूरिन रीटेंशन डिजीज से हुई है। मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित इस बैगा बाहुल्य गांव रेहटा खेरो में बैगा आज भी झिरिया का दूषित पानी पीते हैं क्योंकि गांव में पीने के पानी के लिए उचित व्यवस्था करने में स्थानीय प्रशासन और जिले के संबंधित विभाग ने कोई रुचि ही नहीं ली। सिर्फ कागजों पर ही क्लोरीनेशन, जल स्रोतों की सफाई, जागरुकता अभियान आदि चलाए जा रहे हैं। इन्हीं विभागीय लापरवाहियों के कारण दो राष्ट्रीय मानव असमय काल का ग्रास बन गए। ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि झिरिया का दूषित पानी पीने से बैगा महिला मुकनी बाई को उल्टी दस्त शुरु हो गए और उसकी जान चली गई।
रेहटा खेरो के बैगाओं का कहना है कि जिला प्रशासन को कई बार क्षेत्र की गंभीर समस्याओं से अवगत कराया गया लेकिन किसी ने कोई रुचि नहीं ली। पीने के पानी के लिए गांववासी नाले के पास की झिरिया पर निर्भर करते हैं। बारिश में नाले का जल अत्यधिक दूषित हो चुका है। वही दूषित पानी झिरिया तक रिस कर आता है जिसे पीकर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं।
बनी है अव्यवस्था
आजादी के 70 दशक बाद भी गांव की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं आया है। विकासखंड मुख्यालय से महज 6 से 8 किमी में दूर स्थित पूर्णत: बैगा बाहुल्य ग्राम अमवार एवं ग्राम रेहटा खेरो में बैगा परिवार मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। प्रशासन ने भी इस क्षेत्र बैगा जनजाति परिवार के जीवन स्तर सुधारने व उठाने की दिशा में किसी प्रकार से कोई विशेष कार्य नही किए गए जिससे इन क्षेत्रों में निवासरत लोगों का जीवन स्तर सुधर सके। ग्राम में जलस्रोत के नाम पर सिर्फ 3 हैंडपंप हैं, इनमें से एक पूर्णत: खराब है जिसमें सुधार कार्य संभव नही। ग्रामीणों के अनुसार, शेष दो में कभी पानी आता है कभी नहीं, इसलिए ज्यादातर ग्रामीण झिरिया के पानी से प्यास बुझाने को विवश हैं।
भर्ती था बच्चा
जानकारी के अनुसार, मुकनी बैगा के 5 वर्षीय पुत्र फागू को यूरिन रीटेंशन नामक संक्रमण हो गया था। उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया था। वह पिछले तीन दिनों से जिला अस्पताल में भर्ती था। उसकी मां मुकनी भी अस्पताल में उपस्थित थी। 11 अगस्त को बिना बताए ही मुकनी, फागू और उसके परिजन जिला अस्पताल से वापस अपने गांव चले गए। गांव में उल्टी दस्त से मुकनी की मौत हो गई और 12 अगस्त की रात लगभग 11 बजे उसके पुत्र फागू की मौत हो गई।
आनन-फानन में पहुंची टीम
जैसे ही जिला प्रशासन तक यह बात पहुंची कि मुकनी बैगा की मौत उल्टी दस्त से हो गई है और ग्रामीण झिरिया का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने को बेबस हैं। मंगलवार दोपहर प्रशासन की ओर से राजस्व अमला जिसमे नायब तहसीलदार मवई, आरआई मवई एवं पटवारी, स्वास्थ विभाग से डॉ भगत उद्देशिया एवं पीएचई विभाग से टीम और एसडीओ एके जोशी ग्राम रेहटा खेरो पहुंचे और यहां जल स्रोतों की सफाई और क्लोरीनेशन आदि का कार्य कराए जाने की बात कही। मवई बीएमओ प्रभारी डॉ भगत का कहना है कि मुकनी बाई की मौत उल्टी दस्त से हुई है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है। हालांकि ग्रामीणों को झिरिया का पानी पीने से मना किया गया है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो