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मंडला

जवानों के अभाव में संकट में आपदा नियंत्रण टीम

नर्मदा के बढ़ते जल स्तर में चुनौती बनेगा बाढ़ आपदा नियंत्रण

मंडलाJul 27, 2021 / 09:41 pm

Mangal Singh Thakur

Disaster control team in crisis due to lack of soldiers

Disaster control team in crisis due to lack of soldiers

मंडला. भारी भरकम मोटरबोट… हैवी इंजन…. दर्जनों लाइफ जैकेट लेकिन आपदा नियंत्रण पर प्रश्नचिन्ह? कोई शक नहीं कि जिले के होमगाड्र्स के जवानों के पास अब पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन जवानों की कमी होने के कारण बारिश के दिनो में बाढ़ आपदा नियंत्रण कैसे हो पाएगा इस पर आशंका बनी हुई है क्योंकि जिले के होमगाड्र्स विभाग मेंं जवानों की बेहद कमी बनी हुई है। नियमानुसार और आवश्यकता के अनुसार जिले के होमगार्ड विभाग में 175 जवान होने चाहिए लेकिन वर्तमान में मात्र 118 जवान ही उपलब्ध हैं और इन पर सिर्फ मंडला मुख्यालय ही नहीं, पूरे जिले के बाढ़ आपदा नियंत्रण का दायित्व है। इतना ही नहीं, विशेष परिस्थितियां बनने पर इन्हें रेस्क्यू के लिए दूसरे जिले में भी भेजा जा सकता है। ऐसे मे होमगाड्र्स के जवानों पर आपदा नियंत्रण का जबर्दस्त दबाव बना हुआ है।
नियमों का रोड़ा
जानकारी के अनुसार, जिले के होमगाड्र्स में वर्तमान में जवानों की उपलब्ध संख्या मात्र 118 है। जबकि आवश्यकतानुसार जिले में 175 जवान होने चाहिए। दरअसल जिले मेें होमगार्ड के कुल जवानों की संख्या 148 है लेकिन इनमें से 30 जवान अवकाश पर हैं। शासन की ओर से प्रति माह के रोटेशन में होमगार्ड के जवानों को व्यक्तिगत दायित्वों के निर्वहन के लिए अवकाश दिया जाता है। हर महीने जवान अपनी रोटेशन के अनुसार, अवकाश पर होते हैं। अवकाश पर भेजे जाने वाले जवानों की सूची रोटेशन के अनुसार, शासन की ओर से ही उपलब्ध कराई जाती है। इस महीने भी इसी नियम के अनुसार, जवानों को अवकाश पर भेजा गया है लेकिन बारिश के समय जवानों पर बाढ़ आपदा से निपटने का भारी दबाव होता है। यही वजह है कि इस समय जवानों की कमी अन्य जवानों को खल रही है।
5 डीआरसी स्थापित
बाढ़ आपदा नियंत्रण के लिए जिले भर में पांच डीआरसी- डिजास्टर रिलीफ सेंटर स्थापित किए गए हैं। ये सेंटर बिछिया, नैनपुर, टिकरिया, निवास एवं घुघरी में स्थापित किए गए हैं। इनमें कुल 23 जवानों की तैनाती की गई है। होमगार्ड के सहयोग के लिए जिले में एसडीआरएफ के भी जवान शामिल हैं। होमगार्ड के पास स्वयं के 32 तैराक हैं और एसडीआरएफ के 11 तैराक उपलब्ध हैं। प्लाटून कमांडर हेमराज परस्ते के अनुसार, पूरे जिले में सबसे खतरनाक और संवेदनशील पाइंट सहस्रधारा है क्योंकि जिले भर में यही एक मात्र ऐसी जगह है जहां पानी बढऩे की आशंका का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस क्षेत्र में देखते ही देखते पानी बढ़ जाता है।
उपलब्ध संसाधन
बोट 05
इंजन 03
लाइफ जैकेट 70
ट्यूब 80

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