किसानों को नहीं मिल पा रही खसरे की नकल
तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे किसान
किसानों को नहीं मिल पा रही खसरे की नकल
मंडला/नारायणगंज. शासन द्वारा लोगों की सुविधाओं के लिए योजना बनाई जाती है। लेकिन जमीनी स्तर की हकीकत कुछ और ही होती है। जनहित की ये योजनाएं लोगों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ती नजर आती है। लोगों को योजनाओं की जानकारी के साथ ही उसके लाभ के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसा ही एक मामला नारायणगंज विकासखंड के तहसील कार्यालय का प्रकाश में आया है। वर्तमान में किसानों को अपने फसल को गेहूं खरीदी केंद्रों में बेचने के लिए पंजीयन कराने के लिए अपडेशन के लिए बी-1 खसरा आदि दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ रही है। जिसके लिए किसान कई कई दिनों पटवारी व तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने मजबूर है वहीं इसी मजबूरी का फायदा प्रशासन के नुमाइंदों द्वारा खूब उठाया जा रहा है। जहां शासन के गाइडलाइन अनुसार 30 शुल्क है जिसकी जगह 50 प्रति बी 1 खसरा के हिसाब से लेकर किसानों को लूटा जा रहा है। खसरा बी-1 लेने गए छत्तर सिंह मरावी निवासी देवरी, तिवारी लाल निवासी चंदेहरा व अन्य आवेदकों द्वारा बताया गया कि ऑपरेटर द्वारा आवेदन लेने के बाद दरवाजा बंद कर लिया जाता है और खिड़की के माध्यम से खसरा बी-1 देता है उक्त खिड़की की ऊंचाई भी जमीन से लगभग 5 फीट ऊपर है जिसके लिए लोगों को एक पौधे के कटे तने के सहारे चढ़कर अपने आपको जोखिम में डालते हुए लेना पड़ता है इस सब में कोई फिसल कर घायल भी हो सकता है। परंतु आपरेटर मनमानी करते हुए लोगों को परेशान किया जा रहा है। तहसील कार्यालय में हो रही मनमानी से किसी भी अधिकारी को कोई सरोकार नहीं है जबकि उक्त मामले की शिकायत मौखिक रूप से कई बार संबंधित अधिकारी को की गई है लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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