पश्चिम में मात्र 30 प्रतिशत संग्रहण
पश्चिम सामान्य वन मंडल अंतर्गत इस बार कुल 57 हजार 210 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें अब तक की स्थिति में मात्र 30 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण हो सका है।
संग्राहकों को नहीं मिली मजदूरी
वन विभाग से मिली जानकारी अनुसार हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण समितियों के माध्यम से वन क्षेत्र से संग्राहकों की मदद से तेंदूपत्ता तुड़ाई कराई जाती है। संग्राहक जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण शामिल होते हैं। पश्चिम सामान्य वन मंडल अंतर्गत करीब 55 हजार से अधिक संग्राहकों को तेंदूपत्ता तुड़ाई से लाभ मिल रहा है जानकारी अनुसार प्रत्येक संग्राहक को 300 रुपए प्रति सैकड़ा तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए समितियों के माध्यम से भुगतान किया जाता है, सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा समितियों के खाते में संग्राहकों के लिए राशि डाली जा चुकी है लेकिन बताया जाता है कि जो संग्राहक इस भरी दोपहरी में तेंदुपत्ता संग्रहण कर रहे हैं उन्हें अब तक समितियों द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। वहीं पूर्व सामान्य वन मंडल से मिली जानकारी अनुसार विभाग द्वारा करीब 40 लाख रुपए अब तक समितियों के खाते में डाले जा चुके हैं, अधिकारी यह राशि संग्राहकों के खाते में पहुंचने की बात कही जा रही है।
इस बार मौसम बना संग्रहण में बाधा
वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार न केवल जिले बल्कि प्रदेश और देश भर में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ था, जिस समय कड़ी धूप खुले मौसम से तेंदूपत्ता के पत्तों के विकास का समय होता है।
इस बार उसी मार्च-अप्रेल में तेज बारिश के साथ तेज हवाएं चलती रही यही कारण है कि इस बार तेंदुपत्ता का संग्रहण लक्ष्य से आधा ही रह गया है और इस बार इसके पूरा होने की संभावना भी कम ही है क्योंकि 15 मई से शुरू हुआ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम 5 जून तक ही चलेगा।
पेसा एक्ट का नहीं उठाया लाभ इस बार ग्रामसभाओं को अधिकार दिया गया था कि पेसा एक्ट के तहत यदि ग्रामसभाएं चाहेंगी तो वन विभाग की जगह ग्रामसभा द्वारा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा सकेगा, लेकिन पूर्व सामान्य वन मण्डल अंतर्गत जहां मात्र 5 ग्रामसभाओं ने तेंदुपत्ता संग्रहण का काम किया है। वहीं पश्चिम सामान्य वन मण्डल द्वारा मात्र 03 ग्राम सभाओं ने ही तेंदूपत्ता संग्रहण में रुचि दिखाई है।
जब ज्यादा संग्रहण होता है तो सप्ताह के सप्ताह भुगतान किया जाता है लेकिन इस बार बार बिगड़े मौसम के कारण कम संग्रहण हुआ है जिससे मजदूरों को मिलने वाली राशि भी काफी कम है। इसके चलते इस बार संग्रहण पूरा होने के बाद भुगतान शुरू हो जाएगा।