जोखिम में बंदरों की जान
मंडला•Oct 23, 2019 / 08:13 pm•
Mangal Singh Thakur
हमारी एक आदत बन रही बंदरों की दुश्मन
बिछिया. भुआ बिछिया से मंडला आते वक्त या इस सड़क से गुजरने वाले लोगों को आये दिन सड़क पर मृतक बंदर या घायल बन्दर मिल ही जाते हैं। इन बन्दरों की मौत का कारण भी उन्ही आने-जाने वाले लोगों में से ही ऐसे कुछ लोग हैं जो सोचते हैं कि बन्दरों को फूटा, चना, केला या अन्य खाद्य सामग्री खिलाने से उन्हें पुण्य मिलता है वास्तविकता की बात की जाए तो वन अधिनियम के अनुसार हर जगह वन विभाग द्वारा लिखवाया जाता है कि वन्य प्राणियों को खाद्य सामग्री देना मना है। इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा जंगल की दुनिया के इस महत्वपूर्ण प्राणी बंदर को कुछ खिलाने का लालच दे दे कर उन्हें मौत के रास्ते में ढकेलने का काम किया जा रहा है जो कि मानवता और नैतिकता के पूर्णत: खिलाफ है।
वाहन चालक अपनी गाड़ी रोककर खाद्य सामग्री बन्दरों को खिलाई जाती है इस कारण बिछिया के आसपास की जगहों के अलावा ऐसी दर्जनो जगह है जहां गाड़ी की आवाज सुनते ही बन्दरो का झुंड कुछ खाने की चाहत में सड़कों में दौड़ते-उछलते हुए आ जाता है और इसी दौरान लोगों द्वारा खाद्य सामग्री को फेंककर या उछालकर देने से बन्दर भी यहां वहां सड़क पर भागते हैं और तेज रफ्तार किसी अन्य वाहन की चपेट में आ जाते हैं। जिससे उनकी मौत हो जाती है।
बिछिया में फारेस्ट का एक कार्यालय बंजारी में स्थित है और बंजारी से महज एक किलोमीटर की दूरी पर आज एक दर्द विदारक घटना हुई। जिसमें दुर्घटना में एक मादा बन्दर की मृत्यु हो गई और उसका बच्चा मां की मौत से अनजान उसके पास खेलता-कूदता और अठखेलियां करता रहा। अब इस घटना का जिम्मेदार किसे माना जाए। नागरिकों का कहना है कि गलती हर उस आने जाने वाले व्यक्ति की है जो इन प्राणियों को खाद्य सामग्री देने के चक्कर में उनकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
वाहन चालकों को इस प्रकार की घटनाओं से सीख लेना चाहिए और अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सड़क पर ऐसे लोग अगर मिल जाएं तो उनसे आग्रह कर बन्दरों को सड़क के पास कुछ भी खिलाने से मना करना चाहिए। वन विभाग को भी साइन बोर्ड आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहिए साथ ही कानूनी कार्यवाही भी करनी चाहिए।