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अपनी मासूम में ढूंढ लिया फाइटर, सात वर्ष की पूर्णिमा के कदमों को मां ने दिया सहारा

10 वर्ष की उम्र में बिखेरी चमक

मंडलाMay 12, 2019 / 10:46 am

amaresh singh

mother found Fighter in his innocence,

अपनी मासूम में ढूंढ लिया फाइटर, सात वर्ष की पूर्णिमा के कदमों को मां ने दिया सहारा

मंडला। जिस उम्र में बच्चे गुड्डे-गुडिय़ा का खेल खेलते हैं उसी उम्र में पूर्णिमा टीवी सीरियल और फिल्मों में होने वाले एक्शन सीन की हूबहू नकल करने लगी थी। उसे आम बच्चों की तरह परंपरागत खेलों में उतनी दिलचस्पी नहीं थी और न ही उसे टीवी अथवा फिल्में देखने में कोई विशेष रुचि थी, लेकिन जब भी कोई एक्शन सीन आता, हम पूर्णिमा को उसे बड़े गौर से देखता पाते थे। उसके बाद वह उसी अंदाज में एक्शन करते हुए बच्चों के बीच अपनी लीडरशिप जताने की कोशिश करती।
बस, उसके इसी अंदाज को भांपने में मैं सफल रही। अब नतीजा सभी के सामने है, ये कहना है वूशु की नेशनल चैंपियन और कई पदक अपने नाम करने वाली पूर्णिमा की मां माया रजक का। जिन्होंने अपनी शागिर्दी में पूर्णिमा को वूशु की ट्रेनिंग देना तब शुरु किया, जब वह महज 8-9 वर्षों की थी। हालांकि वूशु फाइट सीखने की शुरुआत पूर्णिमा ने जिले के इंडोर स्टेडियम से शुरु की थी, उस वक्त एक कोच वूशु का अभ्यास बच्चों को कराते थे लेकिन जल्दी ही ये कोङ्क्षचग बंद हो गई और पूर्णिमा को वूशु की ट्रेङ्क्षनग देने की जिम्मेदारी ली उनकी मां माया ने।


10 वर्ष की उम्र से बिखेरी चमक
पूर्णिमा की मां माया बताती हैं कि 10 वर्ष की बिटिया पूर्णिमा ने चमक बिखेरना शुरु कर दिया। दरअसल माया ने अपने साथ हुए अन्याय को अपनी बिटिया के साथ दोहराने नहीं देना चाहती थीं। अपने समय की जबर्दस्त वूशु खिलाड़ी माया रजक को जब परिवार की विषम परिस्थितियों ने चैंपियन शिप में जाने से रोक दिया तो वे शांत रहीं लेकिन अपने हुनर को जिंदा रखा और अपने उत्साह को भी और इंतजार किया जब तक उनकी बिटिया पूर्णिमा 10 वर्ष की नहीं हो गईं। वूशु कोच माया बताती हैं कि उन्होंने अपनी बिटिया पूर्णिमा को स्कूली पढ़ाई में टॉप करने के लिए कभी कोई दबाव नहीं दिया यही कारण है कि पूर्णिमा ने फाइटिंग में अपने आप को झोंक दिया और नेशनल चैंपियनशिप के खिताब को अपने नाम करने में सफल रहीं।
उनकी बेटी पूर्णिमा रजक 2007 से वुशू खेल रही है जब उसकी उम्र मात्र 10 वर्ष की थी तब उसने पहला सब जूनियर ओपन नेशनल हिमाचल प्रदेश मंडी में खेला और उसके बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2009 में ओपन नेशनल वुशु लखनऊ में भागीदारी की 2010 में केरल में भागीदारी की 2007 से 2010 तक पूर्णिमा को वुशु कोच आईडी शर्मा से ट्रेनिंग मिली। उनके इस्तीफा देने के बाद माया रजक में पूर्णिमा को ट्रेनिंग देनी शुरू की। पूर्णिमा ने ओपन जूनियर नेशनल वुशु प्रतियोगिता में पूर्णिमा ने 10 गोल्ड मेडल जीता है और राज्य स्तरीय वुशु प्रतियोगिता में 30 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। हाल ही में पूर्णिमा ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी सीनियर नेशनल वूशु 2018 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। दरअसल प्रदेश में पूर्णिमा पहली फाइटर हैं जिसने इस चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है।


लंबी है फेहरिस्त
8जूनियर नेशनल वूशु दो गोल्ड झारखंड रांची 2011
8जूनियर नेशनल वूशु दो गोल्ड बिहार पटना 2012
8जूनियर वूशु नेशनल दो गोल्ड मणिपुर 2013
8जूनियर वूशु नेशनल 4 गोल्ड छत्तीसगढ़ राजनांदगांव 2014
8सीनियर वूशु नेशनल ओपन 1 सितंबर झारखंड रांची 2016
8एक मॉडल सीनियर वूशु नेशनल ओपन 1 सिल्वर मेडल मेघालय असम राइफल्स शिलांग 2017
8सीनियर नेशनल वूशु ओपन पंजाब चंडीगढ़ 2017
8ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी सीनियर नेशनल वूशु 2018 गोल्ड मेडल
दो बार इंडिया कैंप में चयन यूपी- मेरठ , मप्र – भोपाल

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