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नहीं हो सका नर्मदा के रंगरेज घाट का जीर्णोद्धार, श्रद्धालु उठा रहे जोखिम

पांच साल से फाइलों में ही घूम रहा घाट के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव

मंडलाMay 06, 2019 / 01:44 pm

shivmangal singh

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नहीं हो सका नर्मदा के रंगरेज घाट का जीर्णोद्धार, श्रद्धालु उठा रहे जोखिम

मंडला. जिले के नर्मदा घाट लगातार दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं। जागरूक नागरिकों द्वारा घाटों के जीर्णोद्धार को लेकर विभिन्न स्तरों पर जिम्मेदारों को अवगत कराने के बाद भी घाट की दुर्दशा दूर नहीं हो रही है। जिस कारण श्रद्धालुओं को घाटों पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले के कुछ प्रचीन घाट भी है जहां की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। आमजन की मांग पर जीर्णोद्धार के लिए प्रयास तो किए लेकिन अब भी कार्रवाई फाइलों में अटकी है। ऐसा ही हाल जिले के प्रचीन रंगरेज घाट के हंै। रंगरेज घाट का पक्का घाट समय के साथ-साथ खोखला होता जा रहा है। बारिश के सीजन में नर्मदा के उफान में होने पर घाट की मिटï्टी का कटाव हो रहा है। जिसको देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2014-15 में मंडला प्रवास के दौरान रंगरेज घाट के जीर्णोद्धार के लिए पांच करोड़ रुपए की घोषणा की थी। लेकिन नगर परिषद द्वारा अब तक घोषणा के अनुसार डीपीआर तैयार नहीं किया जा सका है। बताया गया कि सीएम द्वारा घोषणा के बाद स्वीकृति में ही एक साल से अधिक समय निकल गया था। पहले बनाए गए डीपीआर में घोषणा से अधिक की लागत आ रही है। जिसके बाद तकनीकी स्वीकृति भेजा गया और विधानसभा चुनाव 2018 की आचार संहिता के एक दिन पहले रंगरेज घाट के जीर्णोद्धार कार्य के लिए टेंडर जारी किया गया। पांच माह पहले टेंडर भी निकाले गए। जिसमें तीन ठेका कंपनी ने आवेदन किए थे। लेकिन टेंडर स्वीकृति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दूसरी कंपनी ने अपील कर दी जिसके कारण अभी हाल तक काम शुरू नहीं हो पाया है।
विशेष अवसर पर भरता है मेला
स्थानीय लोगों ने बताया कि रंगरेज घाट काफी प्राचीन व धार्मिक मन्यता रखने वाला है। कजली तीज, डोलग्यारस आदि अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। विशेष मुर्हूत में स्नान के लिए भी घाटों में सैंकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन निचले हिस्से की दुर्दशा देखकर घाट पर स्नान करना जोखिमभरा लग रहा हैं। यह प्राचीन घाट देखरेख के अभाव में लगातार क्षतिग्रस्त हो रहा है। क्षतिग्रस्त व टूटकर घाट से अलग हुए हिस्से नदी के पानी में साफ नजर आ रहे हैं। निचले हिस्से में मिट्टी कट गई है और चीप मात्र बची है। चीप के टूटने के साथ ही गेफ में पैर फंसने से घायल होने का अंदेशा रहता है। इस घाट में महाशिवरात्रि पर्व, अमावस, सावन सोमवार, नर्मदा जयंती आदि प्रमुख पर्व व तिथियों पर हजारों श्रद्धालु नर्मदा में स्नान के लिए आते हैं। विडम्बना है कि नगर से सटे नर्मदा किनारे स्थित रपटा घाट, खरहर घाट का जीर्णोद्धार तो हो गया लेकिन रंगरेज घाट के जीर्णोद्धार के लिए लेटलतिफी की जा रही है।
उपेक्षा का शिकार
रंगरेज घाट लगातार क्षतिग्रस्त होकर दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस कारण श्रद्धालुओं के लिए घाट पर स्नान करना जोखिम भरा होता जा रहा है। घाट का शीघ्र जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए।
वैशाखु नंदा, समाज सेवी
त्योहारों पर नर्मदा में स्नान के लिए सर्वाधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं को टूट फूट व उपेक्षा का शिकार रंगरेज घाट पर स्नान के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। घाट के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
रविकांत कछवाहा, स्थानीय नागरिक

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