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मंडला

अवैध कब्जेदारों से शुल्क वसूली में नपा प्रबंधन फेल

अवैध कब्जों से बेपटरी हो रहा नगर का बाजार

मंडलाAug 19, 2019 / 06:50 pm

Mangal Singh Thakur

NPA management fails to collect fees from illegal occupants

NPA management fails to collect fees from illegal occupants

मंडला. नगर के सबसे बड़े व्यावसायिक केंद्र हागगंज बाजार में बढ़ते अवैध कब्जे से एक ओर पूरे बाजार की व्यवस्था बेपटरी हो रही है तो दूसरी ओर छोटी एवं अस्थाई दुकानदारों की परेशानियां भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। हागगंज बाजार में अव्यवस्था फैलाने वालों में पक्की दुकानदारों की संख्या सर्वाधिक हैं। जो एक ओर नगरपालिका के निरकनामा में निर्धारित भूमि से अधिक जगह पर कब्जा करके अपनी दुकान को 8-10 फिट तक आगे तक बढ़ा रहे हैं। तो दूसरी ओर सड़क पर दुकान लगाने के एवज में नगरपालिका को जो शुल्क अदा करना चाहिए वह भी नहीं कर रहे। इससे पूरे हागगंज बाजार में अव्यवस्था बढ़ती जा रही है। शुल्क न पटाने के कारण शासन को प्रतिदिन लगभग 10 हजार और प्रतिमाह लगभग 3 लाख रुपए का घाटा सिर्फ बड़ी एवं पक्की दुकानदारों के कारण उठाना पड़ रहा है। इस हागगंज बाजार में पक्की दुकानदारों की संख्या लगभग 750 एवं अस्थाई एवं छोटे दुकानदारों की संख्या लगभग 1500 है।
नहीं बची सड़क
हागगंज बाजार में किराना, कपड़ा, मसाला, अनाज, जूते-चप्पल,सब्जी, चूड़ी, तंबाकू, मनिहारी, जनरल स्टोर आदि के लगभग 750 पक्की दुकानें हैं तो दूसरी ओर टोकरी-फेरी-ठेला लगाकर, बोरी बिछाकर दुकानदारी करने वालों की संख्या लगभग 1500 है। सड़क के दोनों ओर स्थित पक्की दुकानों के व्यापारी अपनी दुकान की हद से 7-10 फिट तक आगे बढ़कर दुकानों का सामान रख रहे हैं। जबकि नगरपालिका के निरकनामा के अनुसार सिर्फ एक-डेढ़ फिट तक ही दुकान बढ़ाई जा सकती है। सड़क के दोनों ओर बढ़ते जा रहे अवैध कब्जे के कारण हागगंज बाजार की सड़क पर गुजरने की जगह लगातार सिमटती जा रही है। इससे बाजार में खरीदी करने आने वालों के अलावा माल की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए आने वाले रिक्शाचालक, ठिलिया चालकों को गुजरने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। इससे मजदूर वर्ग की आमदनी भी प्रभावित हो रही है।
अस्थाई दुकानों से अवैध वसूली
एक ओर पक्की दुकानों के ज्यादातर व्यापारी नगरपालिका को सड़क पर दुकान फैलाने के एवज में शुल्क भुगतान नहीं कर रहे हैं तो दूसरी ओर अपनी दुकानों के सामने अस्थाई दुकानें लगाने वाले फेरीवालों, टोकरी वालों से अवैध वसूली कर रहे हंै। अस्थाई दुकानदारों ने बताया कि वे हर तरह से शोषित हो रहे हंै। कभी यदि अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाता है तो गाज सिर्फ अस्थाई दुकानदारों पर ही गिराई जाती है और शुल्क वसूली भी उन्हीं से की जाती है। पक्के दुकानों के न तो अतिक्रमण हटाए जाते हैं और न ही उनसे सड़क तक दुकान लगाने के लिए शुल्क लिया जा रहा है। नगरपाालिका द्वारा अस्थाई तौर पर टोकरी, फेरी, ठिलिया लगाने वाले व्यापारियों से प्रतिदिन 10 रुपए की शुल्क वसूली की जाती है।

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