नान के एकाउंट ऑफिसर ने मिलर्स के साथ मिलकर किया हेरफेर, अब निलंबित
मंडला•Sep 19, 2020 / 09:20 pm•
Mangal Singh Thakur
Preparations were made to consume 14 thousand metric tons of non-standard rice through PDS
मंडला. आदिवासी बहुल्य जिले में पीडीएस-सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए 14 हजार मीट्रिक टन अमानक चावल खपाने की तैयारी करके रखने वाले नागरिक आपूर्ति निगम-नान के अकाउंट अधिकारी को आखिरकार निलंबित कर दिया गया है। महज पांच महीने में नान के अकाउंट अधिकारी और वर्तमान में नान के प्रबंधक का प्रभार संभाल रहे मनोज श्रीवास्तव के निलंबन से पहले ही उनके द्वारा की जा रही घोटालेबाजी सामने आ गई। जब केंद्र सरकार ने जिले के कटंगी-सेमरखापा स्थित संगम वेयर हाउस के 61 में से 10 स्टेग के चावल का सैंपल लिया। रिपोर्र्ट में खुलासा हुआ कि इस वेयरहाउस में स्टॉक किया गया चावल मुर्गीदाने के समान बदतर हालत में था जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए जिले के सैकड़ोंं शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के जरिए बांटे जाने की तैयारी थी। केंद्र सरकार के टीम की रिपोर्ट में खुलासा होते ही प्रदेश शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन हरकत में आया और सबसे पहले ईओडब्ल्यू की टीम की उपस्थिति में संगम वेयर हाउस के गोदामों में स्टॉक किए गए पूरे 61 स्टेग चावल के नमूने लिए गए। इसके बाद जिले के अन्य वेयर हाउस में संग्रहित 31 स्टेग चावल के सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए गए हैं। बताया जा रहा है कि जिले के सभी वेयर हाउस में संग्रहित लगभग 14 हजार मीट्रिक टन चावल अमानक स्तर का पाया गया है जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए जिले के हितग्रााहियों को बांटा जाना था।
सूत्रों के मुताबिक उक्त अमानक श्रेणी का चावल जिले के 14 राइस मिलर्स के साथ मिलकर इक_ा किया गया था। नान के निलंबित प्रभारी मनोज श्रीवास्तव के साथ मिलीभगत करके जिले के उक्त राइस मिलर्स ने बिना एफएक्यू (मानक स्तर) का चावल वेयर हाउस में भंडारित कराया। यही कारण है कि अंतत: जिला प्रशासन ने उक्त सभी राइस मिलों को सील किया। हालांकि बाद में विभागीय जांच के दौरान उक्त मिलों को पुन: खोला गया है और भंडारित चावल की मात्रा में मानक स्तर का चावल उपलब्ध कराने के निर्देश मिलर्स को दिए गए हैं।
इन मिलर्स के साथ हेरफेर
नागरिक आपूर्ति निगम के अकाउंट अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने जिले के जिन 14 राइस मिलर्स के साथ मिलकर इस घोटालेबाजी को अंजाम दिया। उन मिलर्स में माँ अन्नपूर्णा फूड इंडस्ट्रीज अंजनिया, बालाजी राईस इंडस्ट्रीज अमगवां पदमी, श्री फूड इंडस्ट्रीज भपसा, माँ राईस इंडस्ट्रीज कुड़वन, ओम शांति राईस इंडस्ट्रीज खड़देवरा, अमित राईस इंडस्ट्रीज कौरगांव, ओम श्री राईस इंडस्ट्रीज कौरगांव, सिद्ध बाबा राईस मिल मोहनटोला, जय मां भवानी राईस मिल मोहनटोला, मां शारदा राईस मिल मोहनटोला, मां बम्लेश्वरी राईस मिल ग्वारा, मां रेवा फूड इंडस्ट्रीज पौंड़ी महाराजपुर, कान्हा राईस मिल कटंगी एवं शशांक राईस इंडस्ट्रीज खैरी मंडला शामिल हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि राईस मिलों द्वारा मिलिंग के बाद एफएक्यू (मानक स्तर) का चावल जमा न कर सीएमआर के लिए किए गए अनुबंध का उल्लंघन भी नान प्रभारी श्रीवास्तव से मिलीभगत कर किया गया। इन सभी मिलों को जिला प्रशासन ने सील कर दिया था।
अप्रैल माह से शुरू हुई मिलिंग
वर्ष 2020 के अप्रैल माह से जिले भर में धान मिलिंग शुरू हुई थी। वर्ष 2019-20 में खरीदे गए 11 लाख 87 हजार 929 क्विंटल धान की मिलिंग अप्रैल माह से शुरू हो गई। लगभग 11 लाख 50 हजार क्विंटल धान की मिलिंग कर ली गई। इससे निकले चावल को एफएक्यू मानक स्तर का होना था लेकिन मिलर्स के साथ मिलकर जिले के सभी वेयर हाउस में अमानक स्तर का लगभग 14 हजार मीट्रिक टन चावल स्टॉक करवा दिया गया। जिसका खुलासा केंद्र सरकार की टीम की दबिश के बाद हुआ।