वहीं अधूरे मकान होने के दूसरा कारण जमीनी विवाद व राशि का उपयोग ना करना भी सामने आया है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वीकृति के बाद मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है। संंबंधित हितग्राही को किश्त के अनुसार काम भी करवाना होता है। इसके बाद पंचायत कर्मी जीओ टैग के माध्यम से कार्य की फोटो व अन्य जानकारी उच्च अधिकारियों को भेजते हैं जिसके बाद वहां से अगली किश्त जारी होती है। लेकिन शासकीय जमीन पर अतिक्रमण या राशि का उपयोग ना होने के कारण हितग्राहियों के आवास अधूरे पड़े हैं।
पंचायत ने लगा दी आपत्ती
घुघरी जनपद के ग्राम पंचायत डोंगर मंडला के हितग्राही को इसलिए दूसरी किश्त नहीं दी जा रही है क्यों उसने शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनवा लिया। हितग्राही का कहना है कि उसके पास कोई जमीन नहीं है। स्वीकृति के बाद 25 हजार रुपए खाते में पहुंचते तो उसने ग्राम पंचायत के सरपंच से चर्चा करके गांव की खाली पड़ी शासकीय भूमि में काम शुरू करवा दिया। जिसमें उसने अपने पास के भी कुछ पैसे लगाए हैं। लेकिन अब ग्राम पंचायत ने आपत्ती लगा दी है। जिससे आगे की राशि जारी नहीं हो रही।
मवई विकासखंड में एक मामले में हितग्राही को पहली किश्त जारी की गई। लेकिन हितग्राही पूरी राशि कहीं और खर्च कर ली। जिसके बाद आगे की किश्त जारी नहीं हो रही है। वहीं मवई के एक अन्य मामले में हितग्राही ने को पहली व दूसरी किश्त तो जारी हो गई। लेकिन राशि के अनुरूप काम ना होने के कारण पंचायत कर्मी जीओ टैग नहीं कर रहे हैं। जिससे तीसरी व चौथी किश्त अटकी हुई है। वहीं जिन हितग्राहियों को एक साल से अधिक समय हो गए हैं उनको आगे की किश्त जारी करने के लिए भी अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
इनका कहना
सभी हितग्राहियों को किश्त मिलने के साथ ही काम शुरू करने के निर्देश दिए जाते हैं। कुछ विवाद या अन्य कारणों से काम नहीं करा पाते उनको किश्त जारी नहीं होती है। वर्ष 2019-20 के हितग्राहियों के लिए केन्द्र से राशि आने के बाद खाते में भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
सुखी राम झारिया, पीएम आवास प्रभारी जिपं