जिले में दूसरे प्रदेश में होता विक्रय
डॉ विशाल मेश्राम ने बताया कि चकोड़ा जिले के जंगलो, सड़क किनारे, मैदानों में वर्षा ऋतु में यह पौधा निकल आता है। ग्रामीण शुरूआत में इसकी भाजी खाते हैं और उनका मानना है कि भाजी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वर्षा काल में होने वाली बुखार जैसी बीमारियों से रक्षा होती है जब इस पौधे में फल्लियां आती है और बीज पक जाते हैं तब इसके बीज की चाय बनाकर पीते हैं वहीं इन बीजो को गर्म तेल में डाल कर ठंडा किया जाता है तो वह तेल औषधिय गुणों से भरपूर हो जाता है जो खाज-खुजली के लिए भी बहुत उपयोगी होता हैं। जिले से इसके बीज छत्तीसगढ़ एवं देश के अन्य राज्यो तथा विदेशों जैसे चीन, जापान मे भी विक्रय के लिए भिजवाया जाता रहा है। इसकी बाजार मूल्य 10 रुपए से 50 रूपये तक होने से खेती के अतिरिक्त आय का अच्छा विकल्प रहा है।