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मंडला

घर में नहीं है बिजली, चिमनी में पढ़ाई कर मेरिट में आया मजदूर का बेटा, पिता बोले- आगे पढ़ाने की हिम्मत नहीं

मजदूर के बेटे ने जिले की मेरिट लिस्ट में पाया दूसरा स्थान, घर में बिजली नहीं, गांव में स्कूल नहीं, रोजाना 6 किलोमीटर साइकिल चलाकर कच्चे रास्ते से तय किया कामयाबी का सफर…

मंडलाJul 28, 2020 / 04:14 pm

Shailendra Sharma

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मंडला. आदिवासी जिले मंडला में एक होनहार बेटे ने अपने मजदूर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। मंडला जिले की गुरार खेड़ा गांव पंचायत के पौषक ग्राम कैंथा टोला के रहने वाले राजकमल नंदा ने तमाम मुश्किलों के बाद भी सफलता की इबारत लिखी और जिले की मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान हासिल किया। राजकमल के पिता मजदूर हैं। जिनकी दो बेटियां और एक बेटा राजमकल है। राजकमल हायर सेंकडरी स्कूल रामनगर का छात्रा है। राजकमल ने कला संकाय में जिले की मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान हासिल किया है वहीं उसकी एक बहन ने भी 12वीं में फर्स्ट डिवीजन में परीक्षा पास की है।

 

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घर में बिजली नहीं, रोजाना 6 किमी. साइकिल चलाकर जाता था स्कूल
12वीं बोर्ड की परीक्षा में मंडला जिले में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले होनहार राजकमल ने 500 में से 433 अंक हासिल किए हैं और 86.6 प्रतिशत के साथ जिले की मेरिट लिस्ट में दूसरे स्थान पर आया है। राजकमल की सफलता की कहानी काफी कठिनाइयों भरी रही है। राजकमल के पिता राजेश नंदा मजदूर हैं और दूसरों के खेतों में काम कर किसी तरह उसे उसकी दोनों बहनों को पढ़ा रहे हैं। राजकमल के घर में बिजली तक नहीं है। स्कूल से लौटने के बाद वो पिता की खेत में मदद करता था और फिर रात को घर में बिजली न होने के कारण चिमनी और चूल्हे की आग की रोशनी में पढ़ाई किया करता था। इतना ही नहीं गांव से स्कूल की दूरी 6 किलोमीटर है। स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है और कच्ची पगडंडी पर रोजाना साइकिल चलाकर राजकमल स्कूल जाता था।

होनहार राजकमल को मदद की दरकार
मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर आने वाले राजकमल के पिता राजेश नंदा उसकी कामयाबी से खुश हैं लेकिन दुखी मन से ये भी कहते हैं कि उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी ने भी 12वीं की परीक्षा बेटे के साथ दी थी और 68 प्रतिशत अंक लाकर पास हुई है। छोटी बेटी ने इसी साल 10वीं की परीक्षा पास की है। लेकिन अब उनकी हिम्मत नहीं है कि बेटे को आगे पढ़ा पाएं, परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है इसलिए उसे पढ़ाई के लिए शहर भी नहीं भेज सकते। ऐसे में अब राजकमल को मदद की दरकार है जिससे कि वो आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रख सके।

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