पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ी हरियाली अमावस
मंडला•Aug 02, 2019 / 06:02 pm•
Sawan Singh Thakur
हरियाली अमावस पर हुए तांत्रिक-मांत्रिक अनुष्ठान
मंडला। अमावस्याओं में वर्ष की सबसे बड़ी मानी जाने वाली हरियाली अमावस्या के साथ ही 1 अगस्त से हिंदुओं के पर्व-त्योहारों की शुरुआत हो गई। इस अमावस पर अधिकांश घरों में अपने-अपने कुलदेवी और कुलदेवताओं की पूजा की गई। चूंकि इस अमावस को दिवंगत परिजनों और पितृदेवों का दिन भी माना जाता है। इसलिए लोगों ने अपने पूर्वजों के नाम पर धार्मिक अनुष्ठान किए और जरुरतमंदों को दान देकर पुण्यफल की कामना की। हिंदू पौराणिक मान्यताओं में भी हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व है। ऋषि मुनियों ने इस दिन पौधरोपण करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश युगों पहले ही दे दिया था। यही कारण है कि कल बहुत से जागरुक लोगों ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुकता फैलाई।
हर परिवार में उनके कुलदेव अथवा कुलदेवियां होती हैं। इन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए कल घरों में पूजा अर्चना की गई। स्थानीय मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, जिले में दूल्हा देव, नरसिंह देव, मरहाई-देसाई माता को मनाने के लिए रात भर विशेष अनुष्ठान करने की तैयारी की गई। इस दौरान सिर्फ मांत्रिक ही नहीं, तांत्रिक पद्धति का भी उपयोग किया गया। पंडित नीलू महाराज ने बताया कि आरोग्य प्राप्ति के लिए हरियाली अमावस में नीम का, संतान के लिए केले का, सुख के लिए तुलसी का, लक्ष्मी के लिए आंवले का पौधा लगाना चाहिए।
चाहे शहरी क्षेत्र के नजदीक स्थित खेत हों अथवा ग्रामीण क्षेत्रों के खेत। 1 अगस्त को अधिकांश खेत सूने रहे क्योंकि परंपरा के अनुसार, हरियाली अमावस के दिन कृृषि कार्य नहीं किया जाना चाहिए। इस दिन कुछ किसानों ने अपने खेतों में पूजा अर्चना की तो किसी ने हल-बक्खरों का पूजन किया। हालांकि आधुनिक दौर के अधिकांश किसानों के खेतों में हलचल रही, लेकिन अन्य दिनों की अपेक्षा कल यहां भी कृषि कार्य कम ही हुआ क्योंकि मजदूरों ने काम करने से मना कर दिया। मंगलवार को हरियाली अमावस्या के मौके पर सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, शहरी परिवारों में भी तरह-तरह के पूजन और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा की और सुख-समृद्धि की कामना की। सिर्फ मान्यताओं में ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल का अत्यधिक महत्व है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण का वास माना गया है। इसके अलावा वृक्षों में इसे सर्वाधिक पवित्र माना जाता है। सिर्फ पीपल ही ऐसा वृक्ष है जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। किसानों ने भी अपने खेतों में पूजा अर्चना करते हुए धान के परहे रोपे क्योंकि हरियाली अमावस को ऋषि मुनियों ने ही पर्यावरण से जोड़ रखा था।