scriptगांव में कभी था बाघ और भालू का डेरा | The bear and tiger camp was once in the village | Patrika News
मंडला

गांव में कभी था बाघ और भालू का डेरा

विकास हो जाए तो बन सकता है पर्यटन स्थल

मंडलाDec 05, 2020 / 12:52 pm

Mangal Singh Thakur

गांव में कभी था  बाघ और भालू का डेरा

गांव में कभी था बाघ और भालू का डेरा

बाबूलाल यादव
बबलिया. एक समय था जब बबलिया माल के धनगांव के पास जंगलो में बाघ और भालू का जमावड़ा लगा रहता था। यहां के बूजुर्ग बताते हैं कि वर्षों हुए बाघ के दहाडऩे की आवाज गांव तक सुनाई देती थी। वहीं बाघ और भालू कुछ वर्ष पूर्व तक यहां दिखाई दिए हैं। लेकिन अब उजड़ते जंगल के कारण वन्य जीवों ने दूरी बना लिया। अब मोर, खरगोश, वनसुकर, लोमड़ी सहित समान्य वन्य जीव दिखाई देते हैं। जिसका कारण यहां पास ही में जलप्रपात का हाना है। पानी उपलब्ध होने के कारण यहां वन्य प्राणियों का ठहराव रहता है। जानकारी के अनुसार पश्चिम वनमंडल की टिकरिया रेंज के बबलिया सर्किल में धनगांव के पास साढ़े छह करोड़ पुराने जीवाश्म को संरक्षित करने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है। कम्पार्टमेंट 134 में फॉसिल्स वहीं कम्पार्टमेंट 135 में बाघमाड़ा, 136 में भालूमाड़ा नाम से स्थान हैं। जहां प्रचीन गुफाओं में कभी बाघ और भालू का बसेरा था। में इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल में विकसित किया जा सकता है।
घुघरा जलप्रपात भी पहचान
धनगांव के आसपास बहुत से स्थान है जिसमें विकास कार्य कर पर्यटन के लिए सुलभ बनाया जा सकता है। घुघरा जल प्रपात में लगभग 70 फिट ऊंचाई से पानी गिरता है। यहां बारिश के बाद से दिसबंर के अंत तक झरना देखा जा सकता है वहीं मार्च तक पानी की धार लगी रहती है। ग्राम के फत्ते सिंह पंद्राम, बसोरा सिंह सर्वटे, माहूलाल यादव, अम्मी यादव, नंदलाल यादव आदि ने बताया कि भालूमाड़ा और बाघमाड़ा में जलप्रपात भी बनते हैं। एक किलोमीटर बाद दोनो का पानी एक हो जाता है। जो कि एक किलोमीटर दूर नर्मदा में समाहित होता है। दोनो क्षेत्र भी पर्यटन के रूप में विकसित हो सकते हैं। जल प्रपात के नीचे स्थाई कुंड में पानी रहता है यहां डेम बना दिया जाए तो गर्मी के दिनो में भी वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए काफी होगा। जिसके कारण वन प्राणियों की संख्या भी बढ़ेगी। घुघरा जल प्रपात मे फैसिंग की भी मांग गांव वालों ने की है। बताया कि घुघरा जलप्रपात की ऊंचाई कभी अधिक है यहां ऊपर चरने के लिए जाने मवेशी बारिश के दिनो में फिसल कर नीचे गिर जाते हैं। वहीं आपसी लड़ाई में भी कई बार मवेशी जलप्रपात से नीचे गिरे और उनकी मौत हो गई। जलप्रपात के ऊपर फैंसिंग कर दी जाती है तो हादसों को रोका जा सकता है। पानी उपलब्धता होने के कारण शिकारी भी घात लगा कर बैठे हैं। वन विभाग द्वारा निगरानी ना रहने से प्यास बुझाने आने वाले पशु पक्षियों का शिकार भी हो रहा है।
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने फॉसिल्स पत्थर धनगांव में विकास कार्य करने के निर्देश दिए हैं जिसके बाद यहां सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। उसी से लगा हुआ क्षेत्र कम्पार्टमेंट 135 व 136 भी धनगांव बबलिया माल से डेढ़-दो किलोमीटर दूर है। यहां सड़क, सुरक्षा व्यवस्था बनाकर पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है।

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