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मंडला

झाड़ू ने विदेश में दिलाई पहचान

ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ रहीं है हुनर मंद कांता खडसे

मंडलाMar 09, 2019 / 08:34 pm

Mangal Singh Thakur

The broom handled overseas identity

झाड़ू ने विदेश में दिलाई पहचान

मंडला. छिंद के पत्तों से बनने वाली झाड़ू ने गांव की महिला को विदेश तक पहचान दिलाई है। महिला की लगन व मेहनत से स्वंय के परिवार का भरण पोषण तो हो रहा है साथ ही दर्जनो महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा गया है। आदिवासी बहुल्य जिले के छोटे से कस्बे में रहने वाली कांता बाई खडसे छिंद (खजूर) की पत्तियों से कलाकृति बनाती है। फरवरी माह में कांतो को सुरजकुंड दिल्ली में आयोजित इंटनेशनल क्राप्ट मेला शामिल होने का अवसर मिला। जहां पर सूरज कुंड क्राप्ट अथॉरटी के द्वारा ‘कलामनीÓ अवार्ड से नवाजा गया है। कांता बाई ने बताया कि इनकी कलाकृति दुबई, अहमदाबाद, कलकत्ता, जयपुर, पंजाब आदि स्थानों पर सराही गई है। उन्हें कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले है। कांता खजूर छिंद की पत्तियों ये गुलदस्ता, झाड़ू, सीनरी व अनेको कलाकृति बनाती है। इनके इस कार्य में इनके घर के लोगो का भी सहयोग रहता है। इनकी कलाकृति कला दीर्घा में रखी गई है जहां से इनकी बिक्री होती है। यहीं कलाकृति से इनकी रोजी रोटी भी चलती है। कलाकृति के निर्माण में मशीनों व कलर का सहारा नहीं लिया जाता है। समय समय पर आयोजित होने वाले हस्त कला मेला तक पहुचाने में शासन मदद तो मिलती है लेकिन स्थाई रोजगार के लिए मदद नहीं दी जा रही है।
महिलाओं को दिया रोजगार का अवसर
कांता खडसे ने अपने साथ ही गांव की आदिवासी महिलाओं को भी आय का साधन उपलब्ध कराने में मदद की है। कांता ने जिले के मवई, ठरका सहित अन्य गांव में महिलाओं को बेहतर झाड़ू के साथ अन्य कलाकृति बनाने का प्रशिक्षण दिया है। वहीं नरसिंहपुर जिले के पिछड़े गांव खड़ई में भी 20 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। खड़ई में खजूर पेड़ की अधिकता है लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा था। 15 दिन के प्रशिक्षण के बाद वहां की महिलाएं अपनी कलाकृति नरसिंहपुर के बाजार में ले जाकर जीविका चला रही हैं। कांता का कहना है कि हूनर बस होने से कुछ नहीं होता है जब तक स्थानीय लोगों व शासन को कला की कद्र न हो। जिला प्रशासन की तरफ से संतोष जनक मदद नहीं मिल रही है। कुछ साल पहले महिला समूह का गठन करके एक लाख रुपए का ऋण लिया था। जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान देने की बात कही गई थी लेकिन अब उन्हें ऋण सहित लगभग 2 लाख रुपए चुकाने के लिए कहा जा रहा है। जिससे समूह की महिलाओं की चिंता बढ़ गई है।

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