आपदा प्रबंधन से निपटने में भीड़ बनेगी रुकावट
मंडला•Nov 12, 2021 / 08:26 pm•
Mangal Singh Thakur
The family does not accept the visiting hours of the hospital, the man
मंडला. विजिटिंग आवर्स को मानने की बात तो दूर, लोग यहां मास्क तक नहीं लगाते सर। मरीजों के परिजन से पास कार्ड दिखाने को कहा था तो लड़ पड़े थे यहां के लोग, विवाद इतना बढ़ गया था कि चिकित्सकों को आकर परिजनों की मिन्नतें करनी पड़ी थीं। ये बेबसी बताई, जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर खड़े गार्ड ने। आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल की ओपीडी हो या मरीजों के वार्ड, आकस्मिक कक्ष का गलियारा हो या मैटरनिटी वार्ड परिसर। सभी जगह यहां मरीजों के परिजन दर्जनों की संख्या में दिनभर डटे रहते हैं। बदकिस्मती से कभी ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो जाएं कि तत्काल जिला अस्पताल भवन से आपदा प्रबंधन के प्रयास करने की नौबत आ जाए तो इसमें सबसे बड़ी रुकावट बनेंगे यहां उपस्थित मरीजों के परिजनों की भीड़। जिनके कारण कई बार घायल मरीजों को तेजी से ऑपरेशन थिएटर या आकस्मिक कक्ष तक ले जाना भी भारी पड़ जाता है।
तीन शिफ्ट में समय निर्धारित
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को मिलने के लिए परिजनों के प्रवेश का समय निर्धारित किया गया है। मरीजों के परिजन सुबह 07 से 08 बजे के मध्य, दोपहर में 01 से 02 बजे के बीच और शाम को 06 से 07 बजे के मध्य ही प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन जिला अस्पताल में मरीजों के परिजनों का प्रवेश दिन भर होता है। वे जब चाहें यहां आ धमकते हैं और एक नहीं, बल्कि छह-सात लोगों की भीड़ में अस्पताल भवन में प्रवेश करते हैं। इससे अस्पताल में व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। कई बार यदि अधिक कैजुअल्टी केस आ जाएं तो भीड़ के कारण उन्हें चिकित्सक के पास पहुंचाना भी मुश्किल हो जाता है।
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प्रसूतिका वार्ड
मैटरनिटी वार्ड में अनधिकृत लोगों का प्रवेश वर्जित है। इसके बावजूद यहां दिन भर लोगों की भीड़ दिखाई देती है। गांव के मरीजों के परिजन वार्ड के परिसर में गद्दा बिछाए डेरा डाले दिन भर रहते हैं। यहीं खाना खाते हैं और यहीं सोते हैं। इससे वार्ड की व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
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ओपीडी
जिला अस्पताल की ओपीडी के भी यही हाल हंै। यहां इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों के साथ उनके दो से तीन परिजन साथ होते हैं। यदि गांव से कोई मरीज आता है तो उसके साथ आठ-दस लोग हो जाते हैं। वे ओपीडी की कुर्सियों पर बैठ जाते हैं और जो वास्तव तकलीफ झेल रहे हैं उन मरीजों को खड़े रहना पड़ता है।
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मेडिकल वार्ड
अस्पताल के वार्डों में भी मरीज कम उनके परिजन अधिक संख्या में दिखाई पड़ते हैं। गुरूवार को मेडिकल वार्ड के दो बेड में भर्ती मरीजों को देखने के लिए उनके गांवों से 10-12 लोगों का समूह पहुंच गया। इसकारण वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों को परेशान होते देखा गया।