अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक रहे रेत माफिया
रेत के ऊपर मिटटी बिछा कर हो रहा परिवहन, नर्मदा नदी से निकल रही रेत
अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक रहे रेत माफिया
मंडला. प्रतिबंध होने के बाद भी नर्मदा नदी में रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। रेत माफिया परिवहन में भी अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक रहे हैं। मामला जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत रैसयादौना व पटपरा रैयत का है। जानकारी के अनुसार यहां शासकीय योजना के तहत दलिया मिल का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी लागत लगभग 7 करोड़ हैं। निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार धड़ल्ले से चोरी की रेत का उपयोग कर रहे हैं। जिसका संबधित विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बारिश में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के रेत उत्खनन पर रोक के बाद भी माफिया नर्मदा से रेत चोरी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नर्मदा में रेत उत्खनन पर रोक लगाई है। इसके बाद भी माफिया एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर अवैध रूप से रेत निकालकर स्टॉक कर रहे हैं। रेत का परिवहन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से किया जा रहा है। परिवहन के दौरान अधिकारियों की नजर से बचने के लिए रेत के उपर पन्नी बिछाकर मिटï्टी डाल रहे हैं। ताकि दूर से देखने पर मिटï्टी का परिवहन लगे। रसैयादौना में दलिया मिल के लिए ट्रेक्टर क्रमांक एमपी 51 एए 3288 से रेत का परिवहन किया जा रहा था। जिसमें रेत को छिपाने के लिए ऊपर से मिटटी डाल दी गई थी। ट्रेक्टर चालक के पास लायसेंस भी मौके पर नहीं रहा।
बताया गया रेत का उत्खनन पटपरा रैयत व गुरारखेड़ा के बीच नर्मदा नदी से किया जाता है। जहां से उत्खनन किया जा रहा है वह वन विभाग की जमीन में शामिल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह से ही अवैध उत्खनन के लिए ट्रेक्टर नर्मदा किनारे पहुंच जाते हैं और धूप निकलते ही मैदान साफ हो जाता है। रेत के अवैध परिवाहन से किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वन विभाग की जमीन के साथ ही ट्रेक्टर कुछ खेतों के बीच से होते हुए नर्मदा किनारे पहुंचते हैं। 15 जून से 1 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर रोक है। इसके बाद भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रेत का अवैध रूप से भंडारण जारी है।
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