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मंडला

शिक्षा से वंचित हो रहे जिले के हजारों विद्यार्थी

जिले के दर्जनों विद्यालयों में नहीं एक भी शिक्षक, हाथ पर हाथ धरे बैठा प्रशासन

मंडलाOct 18, 2021 / 09:08 pm

Mangal Singh Thakur

Thousands of students of the district being deprived of education

Thousands of students of the district being deprived of education

मंडला. आदिवासी बहुल्य अंचल में शिक्षा का मूलभूत ढांचा चरमराने लगा है क्योंकि आदिवासी विकास विभाग और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने ठान रखा है कि जिले के दूरस्थ अंचलों स्थित ग्रामीण इलाकों के शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं करनी है क्योंकि जिले के अधिकांश शिक्षक शहरी क्षेत्र और जिला मुख्यालय या इसके आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों में ही अपनी पदस्थापना चाहते हैं और इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को खुश रखने के हर उपाय अपनाने को तैयार है। यही कारण है कि जिले में दो महीने पहले से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों की अब तक पदस्थापना नहीं की गई है। उन्हें घर बैठे तनख्वाह मिल रही है। जानकारी के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों के दो सौ से अधिक शासकीय विद्यालय पूरी तरह शिक्षकविहीन है और यहंा पढऩे वाले लगभग 13 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा साल बर्बाद हो रहा है।
220 स्कूल शिक्षकविहीन
जिले में कुल 220 शासकीय विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। इनमें सिर्फ मंडला जनपद के ही नहीं, बल्कि निवास, नारायणगंज, बीजाडांडी, नैनपुर, मोहगांव, घुघरी, बिछिया और मवई शामिल हैं। लेकिन सबसे खस्ताहाल विकासखंड घुघरी और नारायणगंज के शासकीय स्कूल हैं। जिले में सबसे अधिक शिक्षकविहीन स्कूल घुघरी जनपद में हैं। यहां कुल 49 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। इन स्कूलों में सिर्फ प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय ही शामिल नहीं है बल्कि हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में भी एक भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई है। इसके बाद सबसे अधिक मनमानी नारायणगंज जनपद में की जा रही है। यहां कुल 43 विद्यालयों में एक भी शिक्षक की पदस्थापना अब तक नहीं की गई है।
शहरी क्षेत्र में सबसे कम
जिले के शहरी क्षेत्रों में गिने जाने वाले मंडला और नैनपुर जनपद में शिक्षकविहीन स्कूलों की संख्या सबसे कम है। इनमें सबसे कम शिक्षकविहीन स्कूल मंडला जनपद में है। यहां सात स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है इसके बाद नैनपुर क्षेत्र हैं जहां 9 विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं है। गौरतलब है कि इन्हीं क्षेत्रों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या अधिक है। सूत्रों का कहना है कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में पदस्थापना के लिए पदों की बोली लगाई जा रही है। जो जितनी अधिक बोली लगाएगा उसे उतने नजदीक का विद्यालय दिया जाएगा। सूत्रोंं के मुताबिक इन नगरीय इलाकों के जिन स्कूलों में शिक्षक पदस्थापना नहीं है वहां सिर्फ उच्च अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए शिक्षकों की कमी बनाकर रखी गई है।

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