गौरतलब है कि मध्यप्रदेश को 2019 में टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है। यदि बाघों की मौतों का सिलसिला नहीं थमा तो यह दर्जा भी छिन सकता है। बाघों की गणना के बाद सरकार द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसारं देश में 2967 और प्रदेश में 526 बाघ मिले थे। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में 524 बाघ मिले थे। कान्हा नेशनल पार्क में बाघों की गणना के बाद वर्ष 2019 में 118 बाघ मिले थे। कान्हा में 39 नर, 42 मादा, 2 अज्ञात और 35 शावक है। कान्हा पार्क इन दिनों शावकों से गुलजार है। कान्हा और किसली जोन में शावक ज्यादा देखे जा रहे हैं। जनवरी में शिकार बाघिन का शिकार हुआ है वह मात्र 2 साल की थी। जबकि 13 फरवरी को मरने वाले बाघ की उम्र 4-5 साल बताई गई है।
जिस तरह से कान्हा नेशनल पार्क में बाघों की मौत हो रही है उस हिसाब से इस पार्क में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणी सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार कान्हा में बाघों की संख्या अधिक होने के कारण बाघ कोर एरिया से बफर एरिया में जा रहे हैं। सामान्यत बाघ 15 वर्ग किमी क्षेत्रफल और बाघिन 12 वर्ग किमी क्षेत्रफल में अपना दबदबा बनाकर रखते हैं। यहां नये बाघ के आने पर संघर्ष होता है। इस वजह से भी बाघों की मौत होती है।
तीन साल में आपसी संघर्ष और शिकार से हुई मौत
5 जनवरी 2019 बीट किसली एक मादा आपसी संघर्ष।
19 जनवरी 2019 बीट कान्हा एक मादा आपसी संघर्ष।
26 फरवरी 2019 बीट कान्हा दो अज्ञात आपसी संघर्ष।
21 मार्च 2019 बीट किसली एक नर आपसी संघर्ष।
4 नवंबर 2019 बीट सरही एक अज्ञात आपसी संघर्ष।
4 दिसंबर 2019 कक्ष 190 बीट मोतीनाला एक अज्ञात करंट से शिकार।
15 दिसंबर 2019 बीट किसली एक अज्ञात आपसी संघर्ष।
1 अप्रैल 2020 बीट कान्हा एक अज्ञात आपसी संघर्ष।
11 अप्रैल 2020 बीट किसली एक अज्ञात आपसी संघर्ष।
17 नवंबर 2020 बीट किसली एक अज्ञात वृद्धावस्था।
26 जनवरी 2021 बीट खापा एक मादा फंदे से शिकार।
13 फरवरी 2021 किसली एक नर आपसी संघर्ष।