प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने गोंड जनजाति की परंपरा और जीवन शैली पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में काष्ठ से बनी नारी प्रतिमा, गोंड जनजाति के बर्तन, वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र, प्राकृतिक जीवन शैली की परंपरा का चित्रण किया गया है। प्रदर्शनी में बैगा जनजाति द्वारा प्रकृति से उपलब्ध फलों को सुखाकर गिलास-कप आदि के रूप में उपयोग करने का भी चित्रण किया गया है। इसके साथ ही, उनकी पूजा एवं श्रृंगार विधि को भी दर्शाया गया है।
काष्ठ शिल्प के संबंध में बताया गया कि विश्व में भारतीय नारी की पहचान साड़ी परिधान से की जाती है। इस काष्ठ शिल्प प्रदर्शनी का उदे्दश्य है कि नारी का सम्मान बढ़े, उसके जीवन की रक्षा हो तथा एक प्रगतिशील नारी के रूप में भारतीय नारी की पहचान बने। गोंड राजाओं के ध्वज स्तंभ में उल्लेख है कि गोंड राजवंश के 63 नरेशों ने इस धरा पर शासन किया था।
इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल , मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान , केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केन्द्रीय राज्य मंत्री पुरुषोत्तम सिंह रुपाला, मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह, राज्य सभा सांसद संपतिया उइके,जिला पंचायत अध्यक्ष सरस्वती मरावी, प्रदेश मंत्रिमण्डल के सदस्य, विधायगण एवं अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंडला के रामनगर में थे, जहां उन्होंने पंचायती राज दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया, साथ ही कहा कि ग्रामीण भारत को बदलने की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों को लेनी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़ी-बड़ी बातें करने से नहीं बल्कि छोटे-छोटे काम करके पंचायत प्रतिनिधि गांवों में बड़ा बदलाव कर कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान गांव के विकास को लकेर बहुत सारी बातें कहीं।