दीपावली पर बड़ी संख्या में मावे और बेसन से मिठाईयां बनाई जाती है। जितनी मांग होती है उस अनुसार न दूध का और न ही मावे का उत्पादन होता है। स्पष्ट है कि इसमें कहीं न कहीं मिलावट होती हैं। त्यौहारी सीजन में खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा मिठाई विक्रेताओं के यहां से मावे और इससे निर्मित मिठाईयों के सीमित संख्या में सैंपल लेना भी विभागीय लापरवाही को दर्शाता है। जिला मुख्यालय पर करीब १७५ से अधिक मिठाई की दुकानें है। दीपावली पर हजारों किलो मावा-बेसन की मिठाईयां बनाई जाती है। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत १९ जुलाई से अब तक लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट विभाग को प्राप्त ही नहीं हुई है। ऐसे में मिलावटखोरों के हौंसले बुलंद है। इसका लाभ त्यौहारी सीजन में खुलेआम उठाया भी जा रहा है। विभाग की स्टॉफ की कमी का रोना रोककर जिम्मेंदारी से पल्ला तो झाड़ रहा है। लेकिन कार्रवाई नहीं होने से हजारों लोगों के स्वास्थ्य से जो खिलवाड़ हो रहा है। इसके लिए भी विभाग जिम्मेदार है।
प्रदेश से अन्य राज्यों में भेजे जा रहे नमूने
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस वर्ष मिलावटखोरों के खिलाफ बड़े पैमानें पर कार्रवाई शुरू की गई। परिणाम स्वरूप राज्य प्रयोगशाला में प्रतिदिन बड़ी संख्या में जांच के लिए नमूने पहुंच रहे है। परिणाम स्वरूप हर जिले से आए नमूनों की समय-सीमा में जांच संभव नहीं हो पा रही है। प्रदेश से बड़ी संख्या में जांच के लिए नमूने अन्य राज्यों में भी भेजे जा रहे है। यही मुख्य वजह है कि निर्धारित समय पर नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो रही है।
प्रदेश के अन्य जिलों में जहां खाद्य एवं औषधि प्रशासन की गतिविधियां सीएमएचओ एवं कलेक्टर के माध्यम से संचालित हो रही है। इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे है। दूसरी ओर मंदसौर जिले में अब तक प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई। नीमच जिले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कार्रवाई में एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार यहां तक की पुलिस अधिकारियों का पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है, दूसरी और मंदसौर जिले में विभाग के अधिकारी अपना दुखड़ा कई बार आला अधिकारियों के सामने सुना चुके है। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारियों ने शासन स्तर पर शुरू किए गए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में सहभागिता नहीं निभाई।