शुभ मुर्हूत में मां काली की पूजा अर्चना के बाद अफीम डोडों पर लगाया चीरा
शुभ मुर्हूत में मां काली की पूजा अर्चना के बाद अफीम डोडों पर लगाया चीरा
मंदसौर
जिले में करीब १२ हजार से अधिक अफीम पट्टे वितरीत किए गए है। किसानों द्वारा दो समय में अफीम की बुआई की है। इसमें दीवाली के बाद और नवबंर-दिसबंर में बुआई की है। दीवाली के बाद जिन किसानों ने अफीम फसल की बुआई की थी। उन्होंने शनिवार को शुभ मुर्हूत में मां काली की पूजा अर्चना करने के बाद चिराई का कार्य शुरु कर दिया है। किसानों की माने तो नवबंर-दिसबंर में फसल की बुआई का कार्य १५ दिन बाद शुरु होगा। अफीम की फसल की पर ठंड में चीरा लगाने से अफीम की आवक और किस्म अच्छी मानी जाती है।
तोता और रोजड़ों का किसानों को भय
अफ ीम की फसल यौवन पर है अब डोडो से दूध आने लगा है। कुछ गांवो में अफ ीम की लुनाई चिराई भी शुरू हो गई है। ऐसे मे अफीम उत्पादक किसान रतजगा कर रहे है। पक्षियों खास तौर पर तोतों को अफ ीम खासी प्रिय है। वे अफीम का सेवन तो कम करते है, पर डोडो का नुकसान ज्यादा करते है। कई गांवों में रोजडो़ं का भय है।
चोरी का भय भी किसानों को, रतजगा कर रहे किसान
अफीम की फसल पर डोडा आने के बाद बदमाश सक्रिय हो जाते है। और खेतों से डोडा चोरी करते है। गत सालों में कई प्रकरण ऐसे सामने आ चुके है। जिसके चलते किसान रात-रात भर जाग कर फसलों की सुरक्षा कर रहे है। वहीं पक्षियों से फसल को बचाने के लिए किसानों ने अफीम खेत के चारों ओर ज्वार, मक्का के पौधे लगा रखे है। और काक भगोड़े भी लगा रखे है। कुछ किसानों ने बल्लियां लगाकर वायर फेंसिंग कर रखी है तो कुछ ने लोहे की जालिया तक लगा रखी है।
गांव अड़मालिया मे किसान पूखराज धनगर ने बताया कि पहले मां काली की पूजा अर्चना विधि विधान पूर्वक की। उसके बाद में चीरा लगाने का कार्य शुरू किया। अफ ीम की फसल काफ ी नाजुक है। सुबह से शाम तक पक्षियों व रात को रोजडों से बचाने के लिए पूरा परिवार दिन-रात एक कर रहा है। इसके बाद भी पक्षी फसल को नुकसान पहुंचा रहे है। खासतोर पर वे डोडे को खा रहे है। इससे अफीम औसत पर बुरा असर होने का डर बना हुआ है।
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