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मंदसौर

विभागों से निकले युवाओं के भविष्य पर ‘बैंक अधिकारियों ने जड़ा ताला

विभागों से निकले युवाओं के भविष्य पर ‘बैंक अधिकारियों ने जड़ा ताला

मंदसौरAug 30, 2019 / 11:15 am

Nilesh Trivedi

विभागों से निकले युवाओं के भविष्य पर 'बैंक अधिकारियों ने जड़ा ताला

विभागों से निकले युवाओं के भविष्य पर ‘बैंक अधिकारियों ने जड़ा ताला


मंदसौर.


शासन द्वारा बेरोजगार युवाओं को रोजगार से लगाने के लिए कई योजना शुरु की ताकि वे अपने सहित परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर सकें। लेकिन बैंक अधिकारियों की मनमानी का आलम यह है कि विभागों द्वारा भेजे गए आवेदनों में से केवल पांच प्रतिशत युवाओं को ही लोन दिया है। वहीं सैंकड़ों की संख्या में युवा बैंकों के चक्कर काट रहे है। बैंकों की मनमानी को अलाम तो यह है कि दो योजना में तो एक भी बेरोजगार को लोन देने की शुरुआत तक नहीं की है। ऐसे में बैंक अधिकारियों द्वारा लोन पास नहीं करना कई शंकाओं को तो जन्म दे रहा है।
साथ ही इन बेरोजगार युवाओं के भविष्य पर अनिश्चिकाल के लिए उन्होंने ताला भी जड़ दिया है।
इन विभागों से चलती है रोजगार की योजनाएं, हाल सभी जगह एक से
उद्योग विभाग के साथ ही स्वरोजगार योजनाओं का संचालन १२ विभागों के माध्यम से होता है। और आलम सभी जगह एक साथ है। विभागों से रोजगार का सपना निकलकर बैंकों में ही गुम हो रहा है। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अलावा, मत्सय विभाग, पशुपालन विभाग, खादी ग्राम उद्योग, ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग, अल्पसंख्यक पिछड़ा विभाग, आदिम जाति विभाग, शहरी विकास विभाग, अंर्त व्यवसायी विभाग व हस्तकरघा विभाग के तहत स्वरोजगार योजना संचालित होती है। यहां से प्रकरण बनकर बैंकों में जाते है, लेकिन वहां हितग्राही चक्कर काटता रहता है।

आरबीआई ने तय कर रखी 15 दिन की गाईडलाईन
जानकारी के अनुसार आरबीआई ने १५ की गाईडलाईन तय कर रखी है। इस प्रकार के मामलो का बैंकों को १५ दिन में निराकरण करना होता है। लेकिन आरबीआई की गाईडलाईन को ही बैंक नजरअंदाज करते हुए प्रकरणों का निराकरण नहीं कर रहे है। इसके अलावा हितग्राही के लोन की गारंटी का दावा भले ही शासन कर रहा है, लेकिन फिर भी लोन से जुड़े मामलों में यह हितग्राही से लोन में दी जाने वाली राशि के बदले सिक्यूरिटी का पेंच फंसाते है। विडबंना तो यह भी है कि लीड बैंक का भी इन पर कंट्रेाल नहीं होता है। इस कारण लीड बैंक के निर्देशों को भी बैंक तवज्जों नहीं देते। इसी कारण यह स्थिति बनी है और बेरोजगार युवा अपने फाईल लेकर बैंकों के चक्कर काटने को मजबुर है।

300 से ज्यादा शिकायतें सीएम हेल्पलाईन में लंबित
बैंको से जुड़ी ३०० से ज्यादा शिकायतें जिले की सीएम हेल्पलाईन में लंबित पड़ी है। इसमें विभिन्न योजनाओं के तहत लोन मंजूर करने से लेकर उद्योग विभाग से चली फाईलों के बैंकों में अटकी होने के मामले एल-१ से लेकर एल-४ तक लंबित है। अधिकांश शिकायतें शाखा प्रबंधक स्तर की होती है। लेकिन हेल्पलाईन व्यवस्था में एल-१ से लेकर एल-४ तक निराकरण में इन्हें नहीं रखा गया है। इसी कारण शिकायतों का निराकरण भी नहीं हो पाता है। बैंकों में लोन मंजूर करने के मामलों की सबसे अधिक शिकायतें सीएम हेल्पलाईन से लेकर जनसुनवाई स्तर तक लंबित पड़ी है।

चक्कर काट-काट कर थक गया
सीतामऊ निवासी देवेश ने करीब दो माह पहले स्वरोजगार योजना में लोन के लिए आवेदन दिया था। विभाग से आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मामला बैंक में अटका हुआ है। देवेश ने बताया कि बैंक के चक्कर काट-काट कर थक गया हूं। लेकिन कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। कब लोन पास होगा और व्यवसाय शुरु करुंगा। कुछ समझ में नहीं आता है।

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