मालवा के कृषि आधारित अहम जिले मंदसौर के भानपुरा क्षेत्र में चंबल नदी पर बना गांधीसागर बांध मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान के लिए भी खास है। इसका ज्यादातर हिस्सा राजस्थान के कई जिलों को सीधा लाभ देता है तो सिंचाई व पेयजल के लिए भी बांध का पानी बड़ा स्रोत है। बांध का निर्माण सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर किया गया था और योजना का दायरा भी खेत और किसान रखे गए। चंबल की उर्जावान लहरों से खेतों को लहलहाने के साथ ही बिजली उत्पादन का मैप भी तैयार किया गया। वर्ष 2019 की बाढ़ और बांध की बिजली यूनिट को हुए नुकसान के बाद इस वर्ष अच्छी बारिश से फिर से बिजली उत्पादन नियमित होने की उम्मीद बंधी है।
115 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता
गांधीसागर की बिजली यूनिट से करीब 115 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। करीब दो वर्ष पहले तक सभी संसाधन उपलब्ध थे लेकिन बाढ़ के चलते यूनिट को काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद डेढ़ वर्ष तक यूनिट सुधार और अन्य कारणों से नियमित बिजली उत्पादन नहीं किया गया। करीब एक वर्ष तक तो यूनिट ही बंद रही।
शुरूआती टरबाइन परीक्षण रहा सफल
लंबे अंतराल के बाद गांधीसागर बांध के पानी से बिजली यूनिट चलाने का परीक्षण हाल ही में पूरा हुआ है। टेस्टिंग पूरी तरह सफल रही और टरबाइन भी चलाए गए। हालांकि फिलहाल सिंचाई का समय है और बांध से पहली प्राथमिकता खेती और किसान है, इसलिए सिंचाई विभाग अनुबंध के आधार पर पहले सिंचाई का पानी उपलब्ध करा रहा है।
इसलिए अहम गांधीसागर
गांधीसागर बांध मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान के लिए बेहद उपयोगी है। वर्ष 1960 के आसपास बांध का निर्माण होने के बाद से ही चंबल का ज्यादातर पानी राजस्थान के कोटा और रावतभाटा में उपयोग में लाया जा रहा है तो मंदसौर, नीमच से लेकर रतलाम जिले के आलोट से लगे कुछ इलाकों तक पानी पहुंच रहा है। तीन वृहद सिंचाई परियोजनाएं भी इस बांध से जुड़ी हुई है। इस पर शुरूआती बजट अनुसार करीब 5 करोड़ की राशि खर्च कर जल विद्युत गृह निर्मित किया गया है, इसी यूनिट से बिजली उत्पादन होता है।