scriptअफसर के ट्रांसफर ओर स्थानीय खीचतान मेंं पीछे छुटा विकास | Development lagged behind in the transfer and local investigation of | Patrika News
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अफसर के ट्रांसफर ओर स्थानीय खीचतान मेंं पीछे छुटा विकास

अफसर के ट्रांसफर ओर स्थानीय खीचतान मेंं पीछे छुटा विकास

मंदसौरJul 11, 2020 / 10:16 pm

Vikas Tiwari

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मंदसौर
प्रदेश और नपा में बदलती सत्ता के साथ राजनीति और गुटबाजी के बीच कभी कुर्सी की लड़ाई तो अफसर के ट्रांसफर को लेकर नेताओं में चल रही खींचतान के कारण शहर का विकास पीछे छूट रहा है।बीते 3 सालों में कभी चुनाव तो कभी बाढ़ कभी सीएमओ तो कभी अध्यक्ष का मामला हाईकोर्ट में चलने के कारण नपा के काम लंबित हो गए। कभी स्थानीय तो कभी राजनीतिक कारणों के कारण नपा के लंबित प्रोजेक्ट को गति नहीं मिली और अब भी वह फाइलों में ही हैं। पिछले 3 सालों से शहर से जुड़े बनाए गए करोड़ों के प्रोजेक्ट में से एक को भी मंजूरी नहीं मिली। इसी कारण शहर के विकास को भी शासन से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। वही नपा पा भी शासन स्तर पर कामों को गति नहीं दिलवा पाई है।
सीएमओ के ट्रांसफर के लिए जारी नेताओं की जोर आजमाइश
सरकार बदलने के साथ ने अधिकारियों के ट्रांसफर का सिलसिला शुरू हुआ तो नपा में सीएमओ का ट्रांसफर भी शहर की राजनीति के लिए बड़ा मुद्दा बन गया। नगर पालिका की वर्तमान सीएमओ सविता प्रधान के ट्रांसफर का मुद्दा इन दिनों नपा के गलियारों से लेकर शहर की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। ट्रांसफर करवाने और रुकवाने के लिए नेताओं की जोर आजमाइश का दौर जारी है, तो ट्रांसफर के असमंजस में सीएमओ खुद हैं। नपा सीएमओ की कुर्सी पर अफसर का ट्रांसफर को लेकर इन दिनों राजनीतिक खींचतान चल रही है और इसका असर नपा द्वारा शहर में करवाए जाने वाले विकास कार्यों और इनकी प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है।
3 साल में नपा नहीं दे पाए किसी बड़े प्रोजेक्ट की शहर को सौगात
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव ओर फिर लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी और चुनाव के चलते कोई नया नया काम नहीं हो पाया। तो नपा के तत्कालीन अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार हत्याकांड और फिर नए अध्यक्ष के शासन स्तर पर मनोनयन को लेकर जारी खीचतान के बाद फिर नपा के अध्यक्ष के उपचुनाव को लेकर हाईकोर्ट में झूलता मामला तो कभी दो.दो सीएमओ के बीच कुर्सी को लेकर मामला भी हाईकोर्ट तक पहुंचा तो इस बीच सीएमओ का मंडला वाला मामला भी आया। गत वर्ष आई बाढ़ ने भी शहर में बहुत नुकसान किया और बाढ़ के कारण भी काम लंबित हुआ। वही जब फरवरी माह में नपा अध्यक्ष का उपचुनाव हुआ और फिर से शहर सरकार पर भाजपा अध्यक्ष काबिज हुआ और प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार आई तो लॉक डाउन लग गया और पिछले लंबा समय लॉकडाउन में ही बीत गया। इन्ही के चलते पूरा समय निकल गया ओर नपा शहर को कोई नई सौगात नही दिलवा पाई।फिर कभी स्थानीय राजनीति तो कभी बदलती परिस्थितियों के कारण कोई नया काम नहीं हो पाया। इन्हीं कारणों के चलते नपा अपने तमाम लंबित चल रहे प्रोजेक्ट में से किसी एक की स्वीकृति भी नहीं दिलवा पाई। शहर को 3 सालों में कोई नई सौगात नहीं मिली। शासन स्तर पर लंबित चल रहे प्रोजेक्ट अब भी मंजूरी की ही बाट जोह रहे हैं।
यह है प्रोजेक्ट जिन्हें है मंजूरी का इंतजार
नपा के शहर से जुड़े करोड़ों के प्रोजेक्ट शासन स्तर पर मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से 53 करोड़ से अधिक की राशि से आवास योजना तो शिवना शुद्धिकरण के साथ सीवरेज योजना तो काला खेत पर मिनी स्टेडियम 50 करोड़ में कर्मचारी कॉलोनी के यहां पर मल्टीलेवल कॉन्प्लेक्स के साथ अन्य कई योजनाएं जो शासन स्तर पर लंबित पड़ी हैं। वही चंबल की अधूरी पड़ी योजना भी लंबे समय से पूरी नहीं हो पाई है तो मिड इंडिया अंडर ब्रिज के लिए भी अभी नपा को एक करोड़ 75 लाख रुपए की राशि और रेलवे को जमा कराना है। इसस पर भी अभी बात नहीं बन पाई है।
040 कर्मचारी निर्वाचन मैं गएए वसूली हो रही प्रभावित
वर्तमान में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम चल रहा है। जो अब 25 जुलाई तक होना है। इसमें नपा के 40 कर्मचारी की ड्यूटी लगी हुई है। जो मतदान केंद्रों पर प्राधिकृत अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में राजस्व अमला का काम पूरी तरह ठप हो गया है। राजस्व वसूली करने वाले कर्मचारी निर्वाचन के काम में गए तो नपा की वसूली ठप हो गई। नए सत्र में अब तक जलकर की 16: और संपत्ति करके मात्र 4: वसूली ही हो पाई है जो बहुत कम है।

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