सवाल-खेती को बेहतर बनाने के लिए किसान को अभी की स्थिति में क्या करना चाहिए।
जवाब-वर्तमान के हिसाब से किसानों को जिले में फसल चक्र को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही अंतरवर्ती खेती भी करना चाहिए। यह दोनों प्रयोग खेती में वर्तमान में मालवा में बहुत कम है। इससे किसानों को ही लाभ होगा।
सवाल-प्राकृतिक व जैविक खेती में अंतर और करने के तरीके के साथ इसका लाभ क्या है।
जवाब-प्राकृतिक व जैविक खेती दोनों में अंतर है। प्राकृतिक खेती में प्रकृति आधारित खेती होती है। इसमें निंदाई-गुढ़ाई और हंकाई अधिक नहीं होती है। इसमें पानी की नहीं जमीन में नमी की जरुरत होती है और जैविक खेती में केचुआ खाद से लेकर अन्य प्रयोग के आधार पर होती है। दोनों से मानव व पर्यावरण, मिट्टी की सेहत बेहतर होती है। वर्तमान में ३० प्रतिशत जैविक व १० प्रतिशत किसान प्राकृृतिक खेती कर रहे है। प्राकृतिक का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
सवाल-परंपरागत तरीके जिससे आय अधिक प्राप्त होती उसे छोड़ किसान कैसे प्राकृतिक व जैविक की ओर बढ़ेगा।
जवाब-परंपरागत तरीके से खेती के साथ किसानों को नवाचार भी करना होगा। किसान भी अब समझ रहा है कि अपनी आय से ज्यादा पर्यावरण व मानव सेहत का ध्यान रखना भी बड़ा जरुरी है। इसलिए जो प्रचलन चला आ रहा है उसके साथ प्राकृतिक व जैविक को भी अपनाया जा रहा है।
सवाल-जिले ओर मालवा में खेती और उपज के तौर-तरीको से लेकर किसानों की स्थिति।
जवाब-मालवा का किसान खेती को बेहतर तरीको के साथ करना है। वर्तमान में जिन खेतों में पानी भरा है उन्हें छोड़ अन्य जगहों पर फसल बेहतर स्थिति में है। अनाज, दलहन, तिलहर से लेकर औषधी व फल के साथ सब्जी, मसाला सहित विविधता वाली फसलों की खेती किसान इस क्षेत्र में करना है।
सवाल-खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ओर क्या जरुरी है।
जवाब-किसान की मेहनत और तकनीकि में यहां कमी नहीं है। जरुरत है प्रशिक्षण और सही तरीके किसानों को बताने की ओर सपोट की। इसके साथ उचित प्लेटफॉर्म की। जो फसल किसान उत्पादन कर रहा है वह बाहर भेजने के लिए बेहतर स्थिति हो। तो किसान को आय अधिक होगा और वह खुद रोजगार देगा। तो खेती भी लाभ का धंधा होगी और कृषक आत्मनिर्भर बनेगा।