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मंदसौर

प्राकृतिक व जैविक खेती में अंतर लेकिन दोनों ही मिट्टी से लेकर पर्यावरण व मानव सेहत के लिए लाभकारी

प्राकृतिक व जैविक खेती में अंतर लेकिन दोनों ही मिट्टी से लेकर पर्यावरण व मानव सेहत के लिए लाभकारी

मंदसौरSep 23, 2022 / 11:07 am

Nilesh Trivedi

Organic farming is visible only in announcements

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मंदसौर.
प्राकृतिक खेती पर सरकार का फोकस है, लेकिन वर्तमान में इसे सिर्फ १० प्रतिशत किसानों ने अपना है। वहीं जैविक खेती को ३० प्रतिशत किसानों ने अपनाया है। दोंनो में अंतर भी है, लेकिन जैविक व प्राकृतिक खेती मिट्टी से लेकर मानव सेहत के लिए जरुरती है तो किसानों के लिए भी बेहतर है। खेती में बढ़ते रसायन के प्रयोग के कारण मिट्टी में पौषक तत्व कम हो रही है तो वहीं मानव को कैंसर, ह्दयरोग, स्क्रीन से लेकर अन्य कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। प्रशिक्षण और बेहतर माहौल के साथ किसान को इस ओर मुढऩा होगा जो सभी के लिए जरुरी है। यहां खेती के लिए तमाम अनुकूलताएं है ओर किसान भी मेहनती है। तो खेती करने का तरीका भी अच्छा है। जरुरत फसल चक्र को अपनाते हुए रसायन का अधिक उपयोग छोड़ जैविक व प्राकृतिक खेती को अपनाने की है। यह कहना है उद्यानिकी महाविद्यालय के सस्य वैज्ञानिक डॉ राजीव दुबे का है।

सवाल-खेती को बेहतर बनाने के लिए किसान को अभी की स्थिति में क्या करना चाहिए।
जवाब-वर्तमान के हिसाब से किसानों को जिले में फसल चक्र को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही अंतरवर्ती खेती भी करना चाहिए। यह दोनों प्रयोग खेती में वर्तमान में मालवा में बहुत कम है। इससे किसानों को ही लाभ होगा।

सवाल-प्राकृतिक व जैविक खेती में अंतर और करने के तरीके के साथ इसका लाभ क्या है।
जवाब-प्राकृतिक व जैविक खेती दोनों में अंतर है। प्राकृतिक खेती में प्रकृति आधारित खेती होती है। इसमें निंदाई-गुढ़ाई और हंकाई अधिक नहीं होती है। इसमें पानी की नहीं जमीन में नमी की जरुरत होती है और जैविक खेती में केचुआ खाद से लेकर अन्य प्रयोग के आधार पर होती है। दोनों से मानव व पर्यावरण, मिट्टी की सेहत बेहतर होती है। वर्तमान में ३० प्रतिशत जैविक व १० प्रतिशत किसान प्राकृृतिक खेती कर रहे है। प्राकृतिक का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

सवाल-परंपरागत तरीके जिससे आय अधिक प्राप्त होती उसे छोड़ किसान कैसे प्राकृतिक व जैविक की ओर बढ़ेगा।
जवाब-परंपरागत तरीके से खेती के साथ किसानों को नवाचार भी करना होगा। किसान भी अब समझ रहा है कि अपनी आय से ज्यादा पर्यावरण व मानव सेहत का ध्यान रखना भी बड़ा जरुरी है। इसलिए जो प्रचलन चला आ रहा है उसके साथ प्राकृतिक व जैविक को भी अपनाया जा रहा है।

सवाल-जिले ओर मालवा में खेती और उपज के तौर-तरीको से लेकर किसानों की स्थिति।
जवाब-मालवा का किसान खेती को बेहतर तरीको के साथ करना है। वर्तमान में जिन खेतों में पानी भरा है उन्हें छोड़ अन्य जगहों पर फसल बेहतर स्थिति में है। अनाज, दलहन, तिलहर से लेकर औषधी व फल के साथ सब्जी, मसाला सहित विविधता वाली फसलों की खेती किसान इस क्षेत्र में करना है।

सवाल-खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ओर क्या जरुरी है।
जवाब-किसान की मेहनत और तकनीकि में यहां कमी नहीं है। जरुरत है प्रशिक्षण और सही तरीके किसानों को बताने की ओर सपोट की। इसके साथ उचित प्लेटफॉर्म की। जो फसल किसान उत्पादन कर रहा है वह बाहर भेजने के लिए बेहतर स्थिति हो। तो किसान को आय अधिक होगा और वह खुद रोजगार देगा। तो खेती भी लाभ का धंधा होगी और कृषक आत्मनिर्भर बनेगा।
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