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मंदसौर

देश के किसानों के लिए आई बड़ी खशुखबरी यहां पढ़े

किसानों के लिए आई बड़ी खशुखबरी यहां पढ़े -केंद्र सरकार इसी माह करेगी रिलीज, बनेगें किसान उन्नत

मंदसौरJan 14, 2018 / 07:02 pm

harinath dwivedi

patrika

mahavidhylye me kiya shodh

मंदसौर.
प्रदेश का एक मात्र उद्यानिकी महाविद्यालय ने तीन साल पहले सफेद मूसली जैसी औषधीय फसल की दो प्रजातियां देश को दी थी। इसके बाद औषधीय फसल असालिया का प्रोजेक्ट शुरु किया। इसमें भी महाविद्यालय के चार प्रमुख वैज्ञानिकों ने लगातार शोध कर नई प्रजाति आरवीएस असोलिया १००७ बनाई। यह प्रजाति महाविद्यालय के द्वारा बताई गई तमाम विशेषताओं पर खरी उतरी। देश के चार प्रमुख प्रयोगशालाओं में इस प्रजाति को बताए गए मापदंड को खरी बताया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस प्रजाति को इसी माह देश में रिलीज करने का निर्णय लिया है।
असालिया औषधीय फसल है। यह ह्दय रोग के साथ ही बच्चों की ऊंचाई बढ़ाने और मां के दूध में वृद्धि करने के लिए खास तौर दवाईयां बनाने के उपयोग में लाई जाती है। जो नई प्रजाति विकसित की गई है। वह १८ से २० क्विटंल प्रति हैक्टेयर उपज देती है। इस प्रजाति में रोग भी कम लगते है। इस की पत्तियां चौड़ी होती है। पत्तियां भी खाने के उपयोग में ल ाई जाती है। यह रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाने की दवाईयां बनाने के कासम भी आती है। इस प्रजाति में एंटी ऑक्सीडेंट ओमेगा ३ करीब ४९.६ प्रतिशत है। इसके अलावा इस प्रजाति में आयरन एवं कैल्शियम की मात्रा अन्य प्रजातियों से अधिक है। यही वजह है कि इस फसल की नई प्रजाति विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट उद्यानिकी महाविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ हरि पाटीदार, डॉ जीएन पांडे, डॉ एसएन मिश्रा व डॉ आरएस चुंडावत को दिया। इन वैज्ञानिकों ने दो ओर एमएलएस १००१ और एमएलएस १०१६ प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति भी उन्नत प्रजाति है। और इस प्रजाति ने भी केंद्र सरकार की रिलीज लिस्ट में जगह बना ली है। यह देश को समर्पित करने की कतार में है।
तुलसी से केंसर की दवा बनाने के लिए शोध
केंद्र सरकार ने उद्यानिकी महाविद्यालय को औषधीय फसल तुलसी की ऐसी प्रजाति विकसित करने का प्रोजेक्ट दिया है जो केंसर की दवाई बनाने में काम आ सके। इसके अलावा अन्य बीमारियों में भी काम आए। ५२ लाख रूपए के इस प्रोजेक्ट पर चारों वैज्ञानिकों ने काम शुरु कर दिया है। यह वैज्ञानिक तुलसी में अधिक एल्कोहल जैसे अल्फापाइनीन, बीटा पाइनीन, १८ सीनेओल, लीनालूल, अल्फाटर्पी, नियोल, यूसीनोल, एस्ट्राझोल जैसे रासायनोंं को फसल में अधिकतम कर सके। ऐसी प्रजाति विकसित करने के लिए शोध कर रहे है। इसके लिए १४ प्रकार की तुलसी पर प्रयोग किए जा रहे है। इस प्रयोग में ऐसी दो प्रजातियां विकसित की जाएगी। जिसमें एक सर्वाधिक बीज पैदा करने वाली प्रजाति हो। दूसरी सर्वाधिक केमिकल वाली फसल हो।
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