गरोठ विधानसभा- मंदसौर जिले की इस विधानसभा में वर्ष २०१३ के चुनाव में भाजपा के राजेश यादव ने जीत दर्ज की थी। यादव के निधन के बाद वर्ष २०१५ में उपचुनाव हुए। इसमें भाजपा के चंदरसिंह सिसोदिया विजय हुए।
भाजपा- चंदरसिंह सिसोदिया- वर्तमान में विधायक है। पूर्व में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद पर रहे है। साथ ही पार्टी संगठन में विभिन्न पदों का दायित्व संभाला है। यहां ४० हजार मतदाता सौधिंया समाज से है और सिसोदिया सौधिंया समाज के ही है। क्षेत्र में सक्रियता और पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ाव इनकी ताकत हैं।
देवीलाल धाकड़- वर्तमान में भाजपा के जिलाध्यक्ष है और मीसाबंदी भी है। संघ और संगठन से नजदीकियों के चलते क्षेत्र में पकड़ है। साथ ही संघ से लेकर प्रादेशिक नेताओं से धाकड़ का सीधा जुड़ाव उनकी दावेदारी को पुख्ता कर रहा है और पूर्व में उपचुनाव के समय भी गरोठ सीट से यह अपनी दावेदारी जता चुके है। हालांकि टिकट नहीं मिल पाने के कारण ये स्वयं की दावेदारी को उस समय पुख्ता नहीं कर पाए थे। भाजपा के नए चेहरे के रूप में धाकड़ अपनी दावेदारी मजबूत रखते हैं।
्रविनीत यादव– गरोठ सीट से दो बार विधायक रहे राजेश यादव के पुत्र है और वर्तमान में भारतीय जनता युवा मोर्चा में पदों के दायित्व है। इसके साथ ही पिता के कार्यकाल से ही क्षेत्र में सक्रिय है। पिता के राजनीतिक क्षेत्र का लाभ इन्हें मिल सकता है। पार्टी के नए चेहरे के रूप में यादव का नाम शामिल है।
राजेश चौधरी- पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष रह चुके है। उस समय के कार्यकाल की छवि के बूते दावेदारी जता रहे है। लंबे समय से पार्टी में सक्रिय है। पोरवाल समाज से है और क्षेत्र में पोरवाल समाज के वोट बैंक को देखते हुए दावेदारी जता रहे है।
रंजना पंडा- वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है। क्षेत्र मीणा समाज बाहुल्य है और यह मीणा समाज से है। यदि पार्टी यहां महिला को टिकट देती है तो यह सशक्त दावेदार होगी। अनुभव के आधार पर इनकी दावेदारी कमजोर हैं, परंतु महिला होने के कारण इनकी दावेदारी को कुछ मजबूती प्राप्त होती है। संगठन में मजबूत पकड़ है।
कांग्रेस- सुभाष सोजतिया- कांग्रेस की दिग्विजयसिंह सरकार में लोनिवि, स्वास्थ्य के साथ ही विभिन्न विभागों के मंत्री रहे है। अर्जुनसिंह सरकार के समय विधायक रहे है और क्षेत्र में जमीनी पकड़ के चलते कद्दावर नेता माने जाते है। पिछले ७ चुनावों से सोजतिया लगातार चुनाव लड़ते आ रहे है और दिग्विजयसिंह के करीबी है। गरोठ विधानसभा क्षेत्र में सोजतिया कांग्रेस का सबसे प्रमुख चेहरा है। उपचुनाव में करीब १२ हजार ९४५ मतों से चुनाव हारे थे। कम मतों से चुनाव हारे एवं क्षेत्र में मजबूत पकड़ को देखते हुए पार्टी एक बार फिर इन पर विश्वास जता सकती है।
किशनसिंह चौहान- शिक्षक रहे और इस दौरान शिक्षक कांग्रेस में काम करते हुए विभिन्न पदों पर रहे। नौकरी छोडक़र राजनीति का रास्ता चुना। सौंधिया समाज से है और वोटबैंक को देखते हुए दावेदारी जता रहे है। वर्तमान में कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष है। जमीनी नेता है। हालांकि इनका नाम अब तक किसी गुट से नहीं जुड़ा है। नए चेहरे के रूप में कांगे्रस इन पर दांव खेल सकती है।
तुफानसिंह सिसोदिया- जनपद पंचायत अध्यक्ष रहे है और दूसरी बार इनकी पत्नी भी अध्यक्ष रहे। वर्तमान में जनपद पंचायत सदस्य है। लंबे समय से पार्टी में सक्रिय है। सौंधिया समाज से होने के कारण दावेदारी पुख्ता कर रहे है। किशनसिंह चौहान की तरह यह भी कांग्रेस का नया चेहरा हो सकते हैं।
अनुप व्यास- पंचायती राज में काम कर रहे है। मीनाक्षी नटराजन से जुड़े है। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रहे है। क्षेत्रीय स्तर पर ये अपना नाम रखते हैं, परंतु पार्टी स्तर पर कार्यकर्ताओं से जुड़ाव कम होना इनकी एक कमजोर साबित हो सकती है। मीनाक्षी नटराजन के गुट से जुड़े होने के कारण ये अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
्रविनीत यादव– गरोठ सीट से दो बार विधायक रहे राजेश यादव के पुत्र है और वर्तमान में भारतीय जनता युवा मोर्चा में पदों के दायित्व है। इसके साथ ही पिता के कार्यकाल से ही क्षेत्र में सक्रिय है। पिता के राजनीतिक क्षेत्र का लाभ इन्हें मिल सकता है। पार्टी के नए चेहरे के रूप में यादव का नाम शामिल है।
राजेश चौधरी- पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष रह चुके है। उस समय के कार्यकाल की छवि के बूते दावेदारी जता रहे है। लंबे समय से पार्टी में सक्रिय है। पोरवाल समाज से है और क्षेत्र में पोरवाल समाज के वोट बैंक को देखते हुए दावेदारी जता रहे है।
रंजना पंडा- वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है। क्षेत्र मीणा समाज बाहुल्य है और यह मीणा समाज से है। यदि पार्टी यहां महिला को टिकट देती है तो यह सशक्त दावेदार होगी। अनुभव के आधार पर इनकी दावेदारी कमजोर हैं, परंतु महिला होने के कारण इनकी दावेदारी को कुछ मजबूती प्राप्त होती है। संगठन में मजबूत पकड़ है।
कांग्रेस- सुभाष सोजतिया- कांग्रेस की दिग्विजयसिंह सरकार में लोनिवि, स्वास्थ्य के साथ ही विभिन्न विभागों के मंत्री रहे है। अर्जुनसिंह सरकार के समय विधायक रहे है और क्षेत्र में जमीनी पकड़ के चलते कद्दावर नेता माने जाते है। पिछले ७ चुनावों से सोजतिया लगातार चुनाव लड़ते आ रहे है और दिग्विजयसिंह के करीबी है। गरोठ विधानसभा क्षेत्र में सोजतिया कांग्रेस का सबसे प्रमुख चेहरा है। उपचुनाव में करीब १२ हजार ९४५ मतों से चुनाव हारे थे। कम मतों से चुनाव हारे एवं क्षेत्र में मजबूत पकड़ को देखते हुए पार्टी एक बार फिर इन पर विश्वास जता सकती है।
किशनसिंह चौहान- शिक्षक रहे और इस दौरान शिक्षक कांग्रेस में काम करते हुए विभिन्न पदों पर रहे। नौकरी छोडक़र राजनीति का रास्ता चुना। सौंधिया समाज से है और वोटबैंक को देखते हुए दावेदारी जता रहे है। वर्तमान में कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष है। जमीनी नेता है। हालांकि इनका नाम अब तक किसी गुट से नहीं जुड़ा है। नए चेहरे के रूप में कांगे्रस इन पर दांव खेल सकती है।
तुफानसिंह सिसोदिया- जनपद पंचायत अध्यक्ष रहे है और दूसरी बार इनकी पत्नी भी अध्यक्ष रहे। वर्तमान में जनपद पंचायत सदस्य है। लंबे समय से पार्टी में सक्रिय है। सौंधिया समाज से होने के कारण दावेदारी पुख्ता कर रहे है। किशनसिंह चौहान की तरह यह भी कांग्रेस का नया चेहरा हो सकते हैं।
अनुप व्यास- पंचायती राज में काम कर रहे है। मीनाक्षी नटराजन से जुड़े है। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रहे है। क्षेत्रीय स्तर पर ये अपना नाम रखते हैं, परंतु पार्टी स्तर पर कार्यकर्ताओं से जुड़ाव कम होना इनकी एक कमजोर साबित हो सकती है। मीनाक्षी नटराजन के गुट से जुड़े होने के कारण ये अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
दिलीप तिल्लानी- गांधीसागर के सरपंच रहे है। संगठन के विभिन्न पदों पर काम किया है। सिंधिया गुट से जुड़े हैं। विधानसभा में कुछ पकड़ रखते हैं। सिंधियां गुट का होने के कारण इनकी दावेदारी को प्रबल माना जा रहा है। वहीं नए चेहरे के रूप में भी ये कांग्रेस की दावेदारों की सूची में शामिल है।