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मंदसौर

परिजन बोले पहले दिया था न्याय का वादा, अब वादें से मुकर रहे, अब इनकी बातों पर कोई नहीं करेगा विश्वास

परिजन बोले पहले दिया था न्याय का वादा, अब वादें से मुकर रहे, अब इनकी बातों पर कोई नहीं करेगा विश्वास

मंदसौरFeb 21, 2019 / 01:17 pm

Nilesh Trivedi

patrika

परिजन बोले पहले दिया था न्याय का वादा, अब वादें से मुकर रहे, अब इनकी बातों पर कोई नहीं करेगा विश्वास

मंदसौर.
किसान आंदोलन को वचन पत्र में शामिल करने से लेकर चुनावी प्रचार में सबसे बड़ा मुद्दा बनाने कांग्रेस ने बनाया था। और न्याय दिलाते हुए दोषियों पर कार्रवाई की वादा किया था। सरकार बनने के बाद गृहमंत्री का फिर से जांच का बयान आया तो आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को न्याय की आस जागी, लेकिन गृहमंत्री के दो दिन पहले विधानसभा में आए बयान से फिर बवाल मच गया। फिर से इस मामले में राजनीतिक बवाल मचा। हालंाकि दोबारा बयान आया और जांच की बात कही, लेकिन किसानों के परिजन नईसरकार के धोखा देने की बात कह रहे है।
10 दिनों में न्याय का भरोसा देने के बाद अब तक इस पर पहल नहीं हुई और बयानों में भी मुकर रहे है। भाजपा ने कांग्रेस पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया तो कांग्रेस ने फिर इस मामलें में सफाईदेते हुए अपने बयान का बचाव करते हुए जांच का भरोसा दिया।

बरसी पर न्याय का किया था वादा, वचन पत्र में शामिल था मुद्दा
6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान गोलीकांड में पांच किसानों की मौत हुई तो बड़वन के एक किसान की बाद में मौत हुई थी। एक साल बाद 6 जून 20189को पिपलियामंडी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा हुई। इसमें गांधी से लेकर ज्योतिरादित्य सिधिंया ने तत्कालीन भाजपा सरकार पर किसानों की हत्या करने का आरोप लगाया और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 10 दिनों में न्याय दिलाने का वादा किया था। और दोषियों पर कार्रवाईकरते हुए एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही थी।यहां तक की चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस मामले को वचन पत्र में शामिल किया था। जुलाई 2018 में सिधिंया बड़वन व बरखेड़ा पंथ भी पहुंचे। वहां भी इन्होंने सरकार बनने के बाद न्याय दिलाने का वादा किया था। इसी बीच सभी ६ किसानों के घरों पर मिलने जिनते भी नेता पहुंचे सभी ने न्याय दिलाने की बात कहते हुए उनके साथ खड़े होने की बात थी, लेकिन अब सरकार बनने के बाद किसानों को न्याय दिलाने की बात नहीं होने से मृतक किसानों के परिजन इसे कांग्रेस का वादें से मुकरना और धोखा देना मान रहे है।

क्लीनचिट पर उठाए थे सवाल, अब खूद बदल रहे है
किसान आंदोलन के बाद से कांग्रेस के तमाम दिग्गजों के साथ विभिन्न प्रदेशों सहित कईनेताओं ने यहां आकर मृतक किसानों को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार पर सवाल खड़े किए थे। आयोग की रिपोर्ट के बाद क्लीनचिट पर भी सवाल खड़े किए थे और रिपोर्ट सार्वजनिक करने से लेकर कार्रवाई करने की बात कही थी। लेकिन सरकार बनने के बाद न तो रिपोर्टसार्वजनिक हुई और न हीं न दोषियों पर कार्रवाई की बात हुई और न हीं गोलीकांड को लेकर किसी की जवाबदेही मानी गई। अब दिए जा रहे बयानों से मामले में एक बार फिर से राजनीतिक शुरु हो गई है।

गृहमंत्री ने दिया था जांच का बयान, फिर सदन में दिया दूसरा बयान
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद गृहमंत्री बाला बच्चन ने जैन आयोग की रिपोर्टसार्वजनिक करने से लेकर फिर से जांच करवाने का बयान दिया था। इसके बाद किसान परिवारों को आस जागी थी, लेकिन विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री के बयान के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया और राजनीति शुरु हो गई। मामला बढ़ता देख अगले ही दिन फिर से गृहमंत्री को बयान पड़ा की उच्चस्तरीय जांच करवाएंगे और किसी को नहीं बख्शेंगे।

मृतक किसानों के परिजनों का यह हैकहना……
न्याय को ही मजाक बना दिया
बड़वन के मृतक घनश्याम के पिता दुर्गालाल धाकड़ ने बताया कि बयान के बाद तो ऐसा लग ही नहीं रहा कि यह सरकार भी हमें न्याय दिलाएगी। पिपलियामंडी में राहुल गांधी ने न्याय दिलाने की कहा था। घर पर आए ज्योतिरादित्य सिधिंया ने सरकार बनने के बाद न्याय की कहा था। १० दिन में न्याय दिलाने की कहा था। लेकिन सरकार बने इतना लंबा समय बीत गया। न्याय दिलाना तो ठीक इसकी बात भी किसी ने नहीं की। पीएम रिपोर्ट तक नहीं मिली। रिपोर्ट के लिए गए तो यही जवाब मिला की आपके घर आ जाएगी। लेकिन न पीएम रिपोर्ट आएगी और न न्याय मिलता दिख रहा है। अब न्याय शब्द को ही मजाक बना दिया है।

अब तो टूटने लगी आस
लोध के मृतक सत्यनारायण के बड़े भाई कन्हैयालाल धनगर ने बताया कि कोई सुनवाई करने वाला ही नहीं। जितने भी आए सब बड़ी बातें करके गए, लेकिन सही मायनों में न्याय दिलाने कही से भी पहल नहीं हुई। इतने दिनों में न्याय नहीं मिला। उम्मीद थी सरकार बदलेगी तो कुछ होगा, लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। न्याय की आस तो है, लेकिन अब तक न्याय मिलने की आस ही टुटने लगी है। हर किसी ने आश्वासन दिया, लेकिन न्याय तो नेताओं के भाषणों तक ही रह गया।

दोषी को मिले सजा, आज भी यह मांग है
टकरावद के मृतक पूनमचंद के बड़े पापा बलराम पाटीदार ने बताया कि अब तक सभी ने हमें न्याय दिलाने और हमारे साथ खड़े होने का भरोसा हमें दिया था। लेकिन असल में न्याय दिलाने की बात अब तक किसी ने नहीं की। आयोग की जब रिपोर्ट सामने आईतभी लगा था कि लीपापोती चल रही है, लेकिन एक उम्मीद थी कि यदि सरकार बदली तो इन्होंने जो कहा वह करेंगे। फिर सरकार बदली तो जांच का बयान आया तो उम्मीद जागी लेकिन अब फिर लीपापोती शुरु हो गई है। हमारी आज भी यहीं मांग है कि गोली चलाने वालों को फांसी की सजा मिलें और इस मामले में जो भी दोषी है। किसी एक को भी नहीं छोड़ा जाए।हमनें बेटा खोया है किसी के भाषणों से वह वापस नहीं आ सकता।

न्याय दिलाने नहीं हो रही पहल
नीमच जिले के नयाखेड़ा के मृतक चेनराम के भाई गोविंद ने बताया कि चुनाव को देखते हुए हमने बड़े वादें किए गए। लेकिन न्याय अब तक नहीं मिला। आयोग की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की जा रही है। हमें आज भी न्याय की आस है। वोट बैंक के लिए वादें किए, पर न्याय दिलाने के लिए कही से भी पहल नहीं हो रही है। आज बयानों में ही दोहरा रवैया सामने आ रहा है। ऐसे में पहले और अब किस सरकार से न्याय की आस करें। सब धोखा ही लग रहा है।

नेताओं से किसानों को उठ जाएगा विश्वास
बरखेड़ापंथ के मृतक अभिषेक के पिता दिनेश पाटीदार ने कहा कि राहुल गांधी, सिधिंया व कमलनाथ से लेकर कांग्रेस के जो भी नेता आए थे सभी ने सरकार बनते ही किसान आंदोलन की फिर से जांच करवाने। दोषियों पर एफआईआर करवाते हुए कार्रवाईकरने की बात कहते हुए न्याय दिलाने का भरोसा दिया था। वादा किया था, अब मुकर रहे है। न्याय की बात थी। आज इतने महीने हो गए। न्याय दिलाना तो ठीक इसकी शुरुआत नहीं कर पाए। इस प्रकार वादे से मुकरेंगे तो फिर इन राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं की बातों पर कोन विश्वास करेंगा। कईदलों के लोग आए, पर हम आज भी अकेले खड़े है। बेटे को खोया है। सहानुभूति सभी ने दिखाई पर न्याय अब तक नहीं मिला और इसके लिए कोई हमारा साथ देने भी नहीं आया।

जांच के आदेश हो तो जगे आस
चिल्लोद पिपलिया के मृतक कन्हैयालाल पाटीदार के भतीजे संजय पाटीदार ने बताया कि अब तक जो भी इस मामले में हुआ है। वह सब लीपापोती और दोहरेपन वाली बाते हुई है। न्याय का वादा किया था। अब फिर से मामले की जांच के आदेश हो और दोषियों पर एफआईआर के साथ फिर से मामला शुरु हो तो न्याय की आस जागे। अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार बदलने के बाद इसमें एक या दो बार बयान जरुर आए, लेकिन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने और किस आधार पर क्लीन चिट दी फिर से जांच करने जैसे आदेश अब तक सरकार की और से जारी नहीं हुए है।

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