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मंदसौर

15 दिनों से प्रशासन की नजर होने के बावजूद मुख्यालय पर होने वाले थे 5 बाल विवाह

तीन शिकायतों पर रुकवाएं 5 बाल विवाह

मंदसौरApr 18, 2018 / 08:26 pm

harinath dwivedi

patrika

मंदसौर ।शहर सहित जिले भर में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह को लेकर प्रशासन द्वारा १५ दिन पहले से ही संबंधितो को अलर्टजारी कर दिया गया था। इसमें सभी परियोजना अधिकारियों को बाल विवाह की सख्ती से जांच करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही जिले भर में २३ हजार अधिकारियों व कर्मचारियों को इसके लिए तैनात भी किया था। लेकिन इसका कोईखास नजर नहीं आया। जिम्मेदारों द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए कितने प्रयास किए गए इसकी पोल जिला मुख्यालय पर होने वाले ५ बाल विवाह ने ही खोल दी। हालांकि अधिकारियों ने शिकायत मिलते ही मौके पर पहुंचकर इन बाल विवाह को रुकवा दिया।
तीन शिकायतों पर 5 बाल विवाह रोके
जिला महिला सशक्तिकरण कार्यालय को तीन बाल विवाह की शिकायतें प्राप्त हुईं। जांच में 5 बाल विवाह पाए गए। जिन्हें रोकने की कार्रवाईप्रशासन द्वारा की गई। शहर के नरसिंहपुरा में कुमावत समाज के सामूहिक सम्मेलन में दो बाल विवाह की शिकायत मिलने पर जांच में आयोजन समिति से सम्पर्क करने पर पता चला कि उन्होंने कम उम्र के किसी भी जोड़े का पंजीयन नहीं किया है। सूचनादाता से सम्पर्क किया तो पता चला कि वह लोग राजस्थान में जाकर शादी करने वाले है। इस पर कन्हैयालाल पडि़हार के घर जाकर बाल विवाह न करने की समझाईश दी गई।इस पर संबंधित ने लिखित वचन दिया कि वह उम्र पूरी होने तक विवाह नहीं करेगा। सीतामऊ के लारनी गांव में केशुराम बंजारा की दो पुत्रियों के बाल विवाह की सूचना पर टीम ने जांच की और बाल विवाह न करने का लिखित वचन पत्र लिया।
शादी हो जाए तो बोझ कम हो
शांतिलाल पंवार निवासी मिर्जापुरा गांव में तीन बाल विवाह की सूचना पर पहुंची टीम ने दस्तावेज देखे तो 2 लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इनमें शांतिलाल की भाडेज थी। परिजनों ने कहा कि खर्च बचाने के लिए एक साथ तीनों का विवाह कर रहे है। परिजनों ने टीम से कहा कि एक साथ तीनों का विवाह हो जाए तो बोझ कम हो। यदि जल्दी विवाह न करो तो लड़कियां भागकर शादी कर लेती है जिससे इज्जत खराब होती है तो अधिकारी ने पूछा कि यदि लड़कियां बोझ है तो फिर भागने पर इज्ज़त क्यों जाती है और यदि इज्जत है तो बोझ कैसे है। क्या हम अपनी इज्जत को बोझ नहीं उठा सकते। टीम के काफी समझाने के बाद परिजनों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कम उम्र की दो बालिकाओं के विवाह न करने का वचन दिया। टीम में बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा, सेक्टर पर्यवेक्षक उर्मिला पांडेय, चाइल्ड लाइन समन्वयक हरीश परमार, टीम सदस्य शाकिर मंसूरी एवं शौर्यादल सदस्य फारूक हुसैन शामिल थे।
इनका कहना…
यह बात सही हैकि जिले में बाल विवाह को रोकने के लिए १५ दिनों से कार्रवाईकी जा रही थी। इस संबंध में संबंधित क्षेत्र के परियोजना अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गईथी। जिला मुख्यालय क्षेत्र में ही बाल विवाह होने वाले थे, ऐसे में कहां कमी रही, इस संबंध में मामले की जांच कर सबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
– प्रफुल्ल खत्री, कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग

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