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मंदसौर

संबल योजना में अधिकारियों के कारण क्यों अटके एक करोड़ रुपए….. पढ़े यहां

संबल योजना में अधिकारियों के कारण क्यों अटके एक करोड़ रुपए….. पढ़े यहां

मंदसौरFeb 03, 2019 / 05:53 pm

Vikas Tiwari

मंदसौर.
संबल योजना के हाल बेहाल है। इस योजना में अधिकारियों के उदासीनता के नए मामले दिन पर दिन सामने आ रहे है। योजना के शुरुआती दौर में लोगों ने असंगठित श्रमिक पंजीयन के लिए आवेदन कर दिए थे। आवेदन के बाद जब लाभ लेने के लिए वे संबंधित अधिकारियों के पास पहुंचे तो सामने आया कि उनका पंजीयन ही नहीं हुआ है। ऐसे एक या दो नहीं बल्कि ३५ से अधिक आवेदनकर्ता है। ऐसे में करीब इन मृत आवेदनकर्ताओं के करीब ८० लाख से एक करोड़ की राशि आश्रितों को नहीं मिली है। अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने केवल सत्यापन वाला पोर्टल शुरु नहीं होने की बात कही दी।
सबसे अधिक मंदसौर के प्रकरण आए सामने
श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सत्यापन से जिन आवेदनकर्ताओं की मौत हो गई है। वे करीब ३५ है। इनमें सबसे अधिक मंदसौर विकासखंड के है। यहां पर करीब २० से २५ आवेदनकर्ता, सीतामऊ विकासखंड में करीब पांच, गरोठ विकासखंड में शून्य, भानपुरा विकासखंड में दो और मल्हारगढ़ विकासखंड में तीन आवेदनकर्ताओं की सत्यापन से पहले मौत हो गई थी।
योजना के शुरुआती दिनों में दिए थे आवेदन
संबंधित विभाग से मिली जानकारी के अनुसार १ अप्रैल से संबल योजना शुरु हुई थी। इस योजना के तहत आवेदन भी एक अप्रैल से शुरु हो गए थे। जिसके चलते बड़ी संख्या में आवेदन किए गए। लेकिन सत्यापन अधिकारियों द्वारा नहीं किया गए। अधिकारियों की माने तो उस समय सत्यापन वाला पोर्टल ही १ मई से शुरु हुआ था। ऐसे में करीब ३५ आवेदनकर्ताओं की मौत आवेदन करने के बाद हो गई। संबंधित आवेदनकर्ताओं के परिजनों ने आवेदन दिया और वे स्वयं को पंजीकृत भी मान लिए। लेकिन जब मृत्यु के बाद वे योजना का लाभ लेने के संबंधित अधिकारियों के पास पहुंचे तो सामने आया कि अभी तक आवेदनकर्ता का पंजीयन ही नहीं हुआ है।
४५ फीसदी को नहीं मिली अब तक राशि
श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में स्वीकृत अन्त्येष्टि के प्रकरण ५५१, सामान्य अनुग्रह के ४१८ प्रकरण और दुर्घटना अनुग्रह वाले प्रकरण ५८ है। इसमें सामान्य अनुग्रह और दुर्घटना अनुग्रह में स्वीकृत होने के बाद कितने आश्रितों को राशि मिली। इसको लेकर भी कोई आंकड़ा संबंधित विभाग के पास नहीं है। जब जानकारी मांगी गइ्र तो विभागीय अधिकारी जानकारी जुटाने में लग गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर अधिकारी कितने सजग है। जिन आठ निकायों की जानकारी दी उसमें स्वीकृत अनुग्रह वाले करीब ११६ प्रकरण है। जिनमें केवल ५३ प्रकरणों में भुगतान हुआ है।
इनका कहना….
जिले में ऐसे कई मामले है। जिनमें सत्यापन से पहले आवेदनकर्ताओं की मौत हो गई। इस मामले में श्रम विभाग के आलाअधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा।
आदित्य ङ्क्षसह, जिला पंचायत सीईओ।

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