आदर्श कही जाने वाली मंडी में बेपटरी व्यवस्था को पटरी पर लाने में मंडी प्रशासन पूरी तरह अक्षम्य साबित हो रहा है। तेज धूप में किसान मंडी के बाहर तप रहे है और एक नहीं चार-चार दिन तक प्रांगण में एंट्री के लिए इंतजार कर रहे है। दूर-दराज से लेकर जिले के किसान कई दिनों से मंडी में परेशान हो रहे है। मंडी सचिव के पास समस्या लेकर जा रहे किसानों की समस्या दूर करना तो ठीक वह या तो उन्हें मिल नहीं रहे या ठीक से जवाब भी नहीं दे रहे। हर बार अव्यवस्थाओं को सुधारने के बजाए वह हाथ खड़े कर रहे है।
इनके कारण बढ़ रही समस्या, लेकिन मंडी सचिव नहीं ढूंढ पा रहे समाधान
बैठक के दौरान मंडी में अव्यवस्था और समस्याओं के कारण रखे गए। इसमें बाहर खड़े वाहनों भले ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे हो, लेकिन बाईक से प्रांगण में पहुंच रही उपज से उनका नंबर आने से पहले ही जगह फूल हो रही है। बाईक वालों पर लगाम लगाया जाए। यहां पर उपज को अंदर लाने के लिए बाइक से लाने के लिए किराया भी वसूला जा रहा है।
सिक्यूरिटी गॉर्ड के पास डे्रसकोर्ड ही नहीं
बैठक के दौरान सबसे अधिक मामला सिक्यूरिटी गॉर्ड के पास डे्रसकार्ड नहीं होने को लेकर उठा। किसानों के बीच सिविल डे्रस में काम कर रहे सिक्यूरिटी गॉर्ड की कोई पहचान नहीं। इस पर सीएसपी व अन्य ने सवाल किए और जब कहा कि कोई भी सिक्यूरिटी कंपनी बिना डे्रसकोर्ड के अपने गॉर्ड नहीं भेजती, यहां कोन सी कंपनी का काम है। इस पर जवाब आया कि साहब यहां तो थर्डलाईन कंपनी का काम है।
२४ घंटे में एक बार रात को खोल रहे गेट, प्रांगण पड़ा पूरा खाली
मंडी प्रांगण में शुक्रवार को ४० हजार कट्टों की आवक रही। इसमें लहसुन सबसे अधिक १६ हजार तो प्याज ३ हजार २७०, अलसी ९७४, मैथी ९७५, गेंहू ६५६९, सोयाबीन ६८६६ सहित अन्य उपज की आवक रही। बावजूद परिसर का बड़ा हिस्सा पूरी तरह खाली रहा। मंडी प्रांगण में जगह होने के बाद बाहर खड़े किसानों को अंदर नहीं लिया जा रहा। इसके कारण उन्हें हर दिन का भाड़ा भी चुकाना पड़ रहा है तो खाने-पीने से लेकर रात बिताने के लिए यहां मजबुर होना पड़ रहा है। मंडी के गेट २४ घंटे में एक बार रात को खोले जा रहे है। और उसमें भी एंट्री दिए जाने वाले वाहनों की संख्या मंडी प्रशासन किसानों की परेशानी को नजरअंदाज कर अपनी मनमर्जी से तय करता है।
इंतजार के साथ आर्थिक भार भी सह रहे है
उज्जैन जिले के गांव ***** से लहसुन से लेकर आए किसान भगवानसिंह ने बताया कि उन्हें चार दिन हो गई और अब तक अंदर प्रवेश भी नहीं मिला। इस दौरान दूर-दूर से कई किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। खाने-पीने से लेकर वाहन भाड़ा सहित डेढ़ हजार रुपए प्रतिदिन का भार वहन कर रहे है। ७० कट्टे लहसुन लेकर वह यहां आए थे। इस तरह किसानों को यहां परेशानी झेलना पड़ रही है।