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मंदसौर के इस चाय बनाने वाले के नाम से दिल्ली के शिक्षक ने ले लिया १.३० करोड़ का लोन

– दिल्ली जाएगी कोतवाली पुलिस, लोन लेने वाले की हुई मौत

मंदसौरFeb 15, 2018 / 02:38 pm

harinath dwivedi

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मंदसौर.
शहर के रॉयल ऑप्टिकल के पास चाय की दुकान लगाने वाले एक व्यक्ति के नाम से दिल्ली के एक व्यक्ति ने एक करोड़ ३० लाख रूपए का लोन ले लिया। जिसकी शिकायत संबंधित ने कोतवाली पुलिस में की। जब पुलिस ने इस मामले में जांच शुरु की तो सामने आया कि लोन लेने वाले की मौत हो चुकी है। और लोन की किश्त समय पर जमा हो रही है। आगे की जांच के लिए कोतवाली पुलिस दिल्ली रवाना हुई है।


चाय दुकान संचालक राकेश पंवार ने बताया कि कुछ दिनों पहले मुझे दुकान के लिए लोन चाहिए था। इसलिए बैंक ऑफ बड़ोदा बैंक गया। यहां पर असिस्टेंट मैनेजर वरूण से मिला। उन्होंने मुझे कहा कि आपकी सिविल चैक करना पड़ेगी। जब मेरी सिविल चैक तो दिल्ली में करीब एक करोड़ ३० लाख रूपए का लोन लेना बताया। जो मैंने नहीं लिया। इसके बाद मैंने शिकायत कोतवाली थाने में की। मैंने केवल एक ३६ हजार का गोल्ड लोन आईसीआईसीआई बैंक से लिया था।
थानाप्रभारी विनोद ङ्क्षसह कुशवाह ने बताया कि दिल्ली के जनकपुरी के सेंट मारकर सीनियर पब्लिक स्कूल के शिक्षक राकेश पंवार ने एक करोड़ ३० लाख रूपए का लोन लिया था। वहां के प्राचार्य खरे से बात हुई तो उन्होंने बताया कि राकेश की मौत हो चुकी है। जांच में सामने आया कि लिए गए लोन की किश्त समय पर जमा हो रही है। थानाप्रभारी कुशवाह ने बताया कि किश्त कौन जमा कर रहा है। इसकी जांच की जाएगी। चूंकि दोनों का नाम राकेश है इसलिए गलती से कागजात लगाए या धोखाधड़ी की गई है इसकी जांच भी की जाएगी।

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चैक अनादरण के मामले में आरोपी को 4 माह की सजा व 6 लाख रूपए के जुर्माने से दंडित किया
मंदसौर.
अपर सत्र न्यायाधीश निशा गुप्ता द्वारा चैक अनादरण के मामले में अभियुक्त को चार माह की सजा एवं छह लाख रूपए जुर्माने से दंडित किया। अभिभाषक नवीन कुमार जैन ने बताया कि आरोपी हीरालाल परमार द्वारा फरियादी लक्ष्मीनारायण पाटीदार निवासी ग्राम दलौदा सगरा से उधार लिए गए रूपए के एवज में दो चैक 3 लाख रुपए 31 मई 2008 एवं 25 हजार रुपए का 30 अप्रैल 2008 का दिया था। जिसकी राशि अदा न करने पर फरियादी द्वारा एक परिवाद आरोपी के विरूद्ध न्यायालय में प्रस्तुत किया था। उक्त प्रकरण में अपील न्यायालय से उक्त प्रकरण रिमाण्ड होने पर उसमें पुन: सुनवाई करते हुए न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी केएस मेड़ा द्वारा प्रकरण में निर्णय 31 जनवरी 2017 को पारित किया जाकर छ: माह का कारावास एवं 6 लाख रुपए प्रतिकर व प्रतिकर अदा न करने पर 4 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा से दण्डित किया गया था किन्तु अभियुक्त द्वारा की गई अपील में निर्णय पारित किए जाते समय न्यायाधीश द्वारा अपीलार्थी की अपील को आंशीक रूप से स्वीकार करते हुए व अभियुक्त की उम्र लगभग 76 वर्ष की होने के कारण व उसकी उम्र व चैक की राशि व प्रकरण की परिस्थिति एवं सम्पूर्ण तथ्यों को देखते हुए आरोपी की कारावास की सजा में कमी की गई व आरोपी को दोषी माना जाकर उसके विरूद्ध निर्णय पारित किया गया। उक्त प्रकरण में प्रस्तुत न्याय दृष्टांतों व तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी की अपील को निरस्त किया गया। व उक्त पारित निर्णय को न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश निशा गुप्ता द्वारा आंशिक अपील स्वीकार कर आरोपी हीरालाल द्वारा प्रस्तुत अपील को निरस्त किया जाकर चार माह का साधारण कारावास व छ: लाख रूपए प्रतिकर से दण्डित किया गया व अर्थदण्ड अदा न करने पर 1 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा से दण्डित किया गया।

 

 

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