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मंदसौर

अगर बनाना है खुद का मकान तो एक बार यहां जरुर आएं…

– यहां घरोंदे बनाने से पूरी होती है मन की मुराद

मंदसौरMar 07, 2018 / 02:47 pm

harinath dwivedi

patrika

मंदसौर.
भारतीय संस्कृति, धार्मिक स्थलों और गौरवमयी इतिहास की त्रिवेणी माने जाने वाले मंदसौर शहर की पवित्र धरा जहां विश्व के मानचित्र पर अष्टमुखी भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव के मन्दिर को लेकर अंकित है। वहीं मां शिवना के तट पर मंदसौर बायपास स्थित अतिप्राचीन खिडक़ी माताजी का मंदिर भी चमत्कारिक दर्शनों को लेकर एक विशेष स्थान रखता है। यहां कई किवदंतियां है, प्राचीन मंदिर में सैकड़ो सालो से लोग मन्नत मांगने आते है। खासकर जिनके स्वयं के मकान नहीं होते है, यदि वे सच्चे मन से माता की पूजा- अर्चना कर माता के प्रांगण के पत्थरो से घरोंदे बनाते है तो माताजी उनकी इच्छा अवश्य पूर्ण करती है।


शिवना तट पर बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई माता प्रतिमा
माताजी के दरबार में करीब 4 पीढ़ी से सेवा-पूजा कर रहे परिवार के प्रतिनिधियों पंडित कैलाश, दुर्गाशंकर, रमेश व सुरेश परमार के मुताबिक खिडक़ी माताजी की चमत्कारिक प्रतिमा करीब 350 वर्ष पूर्व मंदिर के समीप ही शिवना तट पर एक बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थी। प्राकट्य के बाद से ही माताजी का आशीर्वाद और चमत्कार देखने लायक रहा। लोगों का हर कष्ट हरने वाली खिडक़ी माताजी के मन्दिर में न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है बल्कि मंदिर परिक्षेत्र में घरोंदा भर बनाकर मन्नत मांगने से भक्तों के मकान की मन्नत भी पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं नि:संतान दम्पत्ति व परिवार पर भी माता का आशीर्वाद बरसता है और संतान की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां माता के दरबार में खीर, पुड़ी व हलवे की प्रसादी का भोग लगाकर धन्यवाद भी ज्ञापित करते है।


शीतला सप्तमी पर लगेगा मेला
वैसे तो खिडक़ी माता के दरबार में भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते ही है लेकिन नवरात्रा में यहां का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। चैत्र और शारदेय नवरात्रा में माता के दरबार में न केवल विविध आयोजन होते है बल्कि भक्तों का सैलाब भी जमकर उमड़ता है। मंदसौर से लेकर मालवांचल और सीमावर्ती राज्यों से लेकर दूर-दराज तक के लोग यहां पहुंचते है और घरोंदे बनाकर अपनी मन्नत माता के दरबार में करते है। चैत्र नवरात्रा में नगरपालिका और मंदिर प्रबंध समिति के तत्वावधान में लगने वाला मेला आकर्षण का केन्द्र रहता है। ८ मार्च को मंदिर परिसर में एक दिवसीय मेला का आयोजन होगा। मंदसौर बायपास से सीधे मन्दिर तक पक्का रोड है।


आठ सालों से जारी है कायाकल्प
खिडक़ीमाता मंदिर के कायाकल्प को लेकर करीब 9 साल पहले श्री खिडक़ी माता मंदिर समिति और जनप्रतिनिधियों ने पहल की जो निरंतर जारी है। 9 सालों में धोलपुर के लाल पत्थरों से मंदिर आज पूरी तरह सजकर तैयार है। माताजी के दरबार में भक्तों के लिये आवश्यक सुविधाएं तैनात है। इतना ही नहीं 23 सितम्बर 2009 से शुरू हुआ जीर्णोद्धार आज करीब-करीब पूर्णता की ओर है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने भी खिडक़ी माता मंदिर के पौराणिक महत्व और भक्तों की आस्था को देखते हुए यहां दर्शनार्थियों के लिये 30 लाख रूपये की लागत से विश्राम शेड सहित अन्य निर्माण कार्यों को पूर्ण करवाया है। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने भी विभिन्न माध्यमों से मंदिर के विकास में अपना हरसंभव योगदान दिया है। आज पर्यटन के मानचित्र पर खिडक़ी माता मंदिर एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित होता दिखाई दे रहा है। माताजी के दरबार में हर वर्ग पूरी श्रद्धा से विकास के लिये आहूति के लिए कटिबद्ध दिखाई देता है।

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